आमतौर पर घर और प्रॉपर्टी की वसीयत होती है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अब लोग अपने इलाज के तरीके की भी वसीयत करा सकते हैं.
गंभीर बीमारी की स्थिति में आप किस तरह का इलाज चाहते हैं, किस तरह का केयर चाहते हैं, वो अभी ही एडवांस केयर डायरेक्टिव विल में बता सकते हैं.
यही नहीं, अगर आप बेहोशी में अस्पताल पहुंचते हैं, निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हैं तो ऐसी स्थिति में आपके बदले में कौन फैसला लेगा, इसके लिए नॉमिनी भी चुन सकते हैं.
इसे मेडिकल वसीयत या एडवांस डायरेक्टिव भी कहा जाता है. आइए आपको बताते हैं क्या है इसके लिए नियम-कानून?
मेडिकल वसीयत में आप किस तरह का इलाज करवाना चाहते हैं, यह आपकी इच्छा पर निर्भर करता है. आप सपोर्ट सिस्टम से हटाए जाने का फैसला भी ले सकते हैं.
इसके साथ ही आप एक नॉमिनी चुन सकते हैं जो आपकी ओर से निर्णय ले सके अगर आप स्वयं निर्णय लेने में असमर्थ हों और आप अपने इलाज के लिए एक डॉक्टर भी चुन सकते हैं.
मेडिकल वसीयत बनाना बहुत कठिन नहीं है. आप एक वकील की मदद से या फिर ऑनलाइन भी मेडिकल वसीयत बना सकते हैं. मेडिकल वसीयत को दो गवाहों के सामने साइन करना होता है.
हालांकि भारत में मेडिकल वसीयत को लेकर अभी तक कोई एकरूपता नहीं है. अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कानून हैं. वहीं कई राज्यों में मेडिकल वसीयत को मान्यता दी जा रही है.