हमारे समाज में कई तरह के जानवर पाले जाते हैं, जिसमें बिल्ली भी शामिल है. कुछ लोग इसे प्यार की वजह से पालते हैं या फिर शौक की वजह से. 

लेकिन, कुछ लोग बिल्ली पालने के पीछे शास्त्र को भी एक वजह मानते हैं. इनका मानना रहता है कि बिल्ली को भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में पहले से ही आभास हो जाता है. साथ ही ये घर के लिए भी शुभ होती है. 

खैर, बिल्ली पालना गलत नहीं है. लेकिन, ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए रिसर्च में कुछ हैरान करने वाले तथ्य सामने आए हैं.

रिसर्च में यह बात सामने आई है कि बिल्ली पालने वालों को एक खास किस्म का संक्रमण हो सकता है. इसे रेज डिसआर्डर या टॉक्सोप्लाजमोसिस के नाम से जाना जाता है. 

टॉक्सोप्लाजमोसिस दूषित पानी, पालतू बिल्ली के अपशिष्ट या अधपके खाने, खासकर मांसाहारी खाने से होने वाला संक्रमण है. 

जिन घरों में बिल्ली पाली जाती है, वहां इस बीमारी के संक्रमण की आशंका ज्यादा रहती है. बिल्ली संक्रमित मांस खाती है और फिर अपने मल के जरिए इस बीमारी के परजीवी फैला देती है.

अगर मरीज का इम्यून सिस्टम मजबूत है तो बीमारी के बावजूद उसके दुष्प्रभाव नहीं दिखते हैं, वहीं अगर मरीज कोई गर्भवती महिला है तो इसके गंभीर असर दिखते हैं.

इसके अलावा नवजात शिशुओं में भी इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. बिल्ली के आसपास बने होने या फिर संक्रमित व्यक्ति के पास रहने पर इनका मस्तिष्क तो प्रभावित होता ही है, आंखों की रोशनी भी जा सकती है. 

शरीर का कोई अन्य अंग भी इससे प्रभावित हो सकता है. मरीज में इसके लक्षण तीन हफ्तों के दौरान दिखते हैं. जैसे जोड़ों में दर्द, बुखार, सर्दी-खांसी और सांस लेने में समस्या हो जाती है. 

इसके अलावा मरीज को बात-बात पर गुस्सा आना भी इसका एक लक्षण है. गंभीर हालातों में मरीज किसी को मारने या खुदकुशी करने तक भी आ सकता है.

डॉक्टर का कहना है कि टॉक्सोप्लाजमोसिस एक तरह के परजीवी टी. गोंडियाई से होने वाला संक्रमण है. इसे ‘क्रेजी कैट लेडी सिंड्रोम’ के नाम से भी जाना जाता है.