पॉल्यूशन का ब्रेन पर पड़ रहा बुरा असर, जानें और किन बीमारियों का बढ़ता है खतरा
वायु प्रदूषण का मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जो संज्ञानात्मक (cognitive) कार्यों को प्रभावित कर सकता है.
प्रदूषण के कारण अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.
वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से मस्तिष्क सिकुड़ सकता है, जिससे संज्ञानात्मक हानि हो सकती है. यह विशेष रूप से उन लोगों में देखा जा सकता है जो डिमेंशिया से पीड़ित नहीं होते.
इसके अलावा, प्रदूषण बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) जैसी बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है.
वायु प्रदूषण में मौजूद हानिकारक गैसें जैसे हाइड्रोजन क्लोराइड, बेंजीन, टोल्यूनि, और भारी धातु जैसे पारा, कैडमियम, एस्बेस्टस और क्रोमियम मस्तिष्क के लिए खतरनाक हो सकती हैं.
यह मस्तिष्क कोशिकाओं के संचार को प्रभावित कर सकती हैं और सूजन पैदा कर सकती हैं. सूजन के कारण डिमेंशिया से संबंधित हानिकारक प्रोटीन का निर्माण हो सकता है.
इसके अतिरिक्त, प्रदूषण से ब्रेन फ्रॉग (मस्तिष्क की धुंध) का खतरा भी बढ़ सकता है, जिससे व्यक्ति की मानसिक क्षमता में कमी आ सकती है.
यह भी देखा गया है कि प्रदूषण का लंबे समय तक संपर्क से मस्तिष्क पर गंभीर असर पड़ता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.