सच्चे प्रेम का अर्थ है, बिना किसी शर्त के प्रेम देना और बिना किसी अपेक्षा के प्रेमा प्राप्त करना.

शरीर और मन दोनों को शांति चाहिए, तभी जीवन में सच्ची सुख-शांति मिल सकती है.

जिनके मुख में प्रभु का नाम नहीं है, वह भले ही जीवित है लेकिन मुख से मरा हुआ है.

जो व्यक्ति अपने कर्मों में सच्चाई को अपनाता है, वही जीवन में सबसे बड़ा सुख पाता है.

जो भगवान में विश्वास करता है, वह हर परिस्थिति में शांति और सुख पाता है.

मन कभी भी संतुष्ट नहीं हो सकता यह कभी भी एक जगह पर नहीं टिकता

कोई व्यक्ति तुम्हें दुख नहीं देता बल्कि तुम्हारे कर्म उस व्यक्ति के द्वारा दुख के रुप में प्राप्त होते हैं.

जिसका चरित्र ठीक नहीं है, वह कभी सुखी नहीं हो पाएगा इसलिए चरित्रवान बनो.

क्रोध से कभी किसी का मंगल नहीं हुआ है, ये हमारे समस्त गुणों को नाश कर देती है.