प्रोटेम स्पीकर जो दिलाते हैं सांसदों को शपथ, कैसे होता है इनका चुनाव? जानिए
नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद की शपथ के बाद, अब सब की नजर 18वीं लोकसभा के गठन पर है.
नई लोकसभा बनने पर कई तरह के संसदीय काम रहते हैं जैसे विपक्ष के नेता का चुनाव, कौन सा नेता किस स्थान पर बैठेगा.
लेकिन इस सब से पहले होता है प्रोटेम स्पीकर का चुनाव.
आइए समझते हैं कि प्रोटेम स्पीकर का चुनाव कैसे होता है और इस पद पर बैठने वाले व्यक्ति की क्या जिम्मेदारियां रहती हैं.
नई सरकार के बनते ही वरिष्ठ सदस्यों की एक लिस्ट बनाई जाती है. यह वरिष्ठता उनके उम्र के आधार पर नहीं होती.
लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में उनके कार्यकाल के आधार पर उनकी वरिष्ठता तय होती है.
इन नामों की लिस्ट आगे प्रधानमंत्री को सौंप दी जाती है. वो एक सदस्य की पहचान प्रोटेम स्पीकर के रूप में करते हैं.
इसके अलावा तीन और सदस्यों को पहचाना जाता है जिनके सामने बाकी के मंत्री शपथ ले सकते हैं.
प्रधानमंत्री की मंजूरी के बाद, इन पदों के लिए चुने गए सदस्यों की सहमति भी ली जाती है. यह काम संसदीय कार्य मंत्री करता है.
इसके बाद, मंत्री राष्ट्रपति को एक नोट सौंपते हुए प्रोटेम स्पीकर और अन्य तीन सदस्यों की नियुक्ति पर उनकी मंजूरी मांगता है.
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद प्रोटेम स्पीकर और तीन सदस्यों को शपथ दिलाने की तैयारियों का काम शुरू हो जाता है.