अमिताभ बच्चन की जीत के लिए राजीव गांधी ने चली थी यह चाल
वो एक दौर था जब अमिताभ बच्चन एंग्री यंग मैन के रूप में पूरे देश में छा चुके थे.
जनता उनकी दीवानी थी और इसी का फायदा उनको राजनीति में भी मिला, जब उन्होंने दिग्गज कांग्रेसी रहे हेमवती नंदन बहुगुणा को करारी शिकस्त दी थी.
उस समय इलाहाबाद की सीट के लिए किस तरह से राजीव गांधी ने दांव खेला था,
इसको लेकर जानी-मानी राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने अपनी किताब ‘हाऊ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड’ में तमाम राज खोले हैं.
दिसंबर की एक रात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एचआर भारद्वाज के पास तत्कालीन पीएम राजीव गांधी का बुलावा पहुंचा
आधी रात होने को थी. भारद्वाज जब 1, अकबर रोड स्थित राजीव के आवास में दाखिल हुए, तो उन्हें सामने ही बैठे दिख गए वीपी सिंह
बस यहीं से अमिताभ के राजनीति में एंट्री को लेकर समय का चक्र ही मानो घूम गया था.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव ने पार्टी के साथ ही देश की कमान को भी अपने हाथ में ले लिया था. दिसंबर में ही चुनाव होने थे.
यहां पर तब कांग्रेसी रहे हेमवती नंदन बहुगुणा कांग्रेस के ख़िलाफ ताल ठोक रहे थे, लेकिन उनको अमिताभ के ग्लैमर ने भारी शिकस्त दी थी.
बहुगुणा को मात देने के लिए राजीव ने जो दांव खेला था वो आज भी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय रहता है.
जब इलाहाबाद से अमिताभ बच्चन को चुनाव लड़वाने की बात सामने आई तो वीपी ने बस इतना ही कहा, ‘कोई समस्या नहीं है. हम लोग तिवारी को बदल देंगे.’
तिवारी का मतलब है केपी तिवारी, जो कि वीपी सिंह के काफी करीब थे. इस तरह से इलाहाबाद से अमिताभ के लिए चुनाव लड़ने का रास्ता साफ़ हो चुका था.
प्लानिंग के हिसाब से ही काम हुआ और आखिर वक़्त तक किसी को भनक तक नहीं लगी कि कांग्रेस ने फिल्मी सितारे को चुनावी मैदान में उतारा है.
अमिताभ बच्चन का क्रेज उस समय इतना था कि जब प्रचार के लिए वह इलाहाबाद पहुंचे, तो उनकी एक झलक पाने को भीड़ उमड़ पड़ी.