भारत में इस जगह पर नहीं होता रावण का दहन, यहां दशहरा के दिन मनाया जाता है शोक
ऐसी मान्यता है कि नोएडा के गांव बिसरख में रावण के जन्म के साथ ही उसका बचपन भी वही पर बीता है.
महान ब्राह्मण और तपस्वी ऋषि विश्रवा जो कि रावण के पिता थे वो बिसरख में ही रहते थे. रावण ने शुरुआती दिनों में वेदों और शास्त्रों की शिक्षा यहीं ली थी
बिसरख गांव में दशहरा के उत्सव के दिन रावण का दहन नहीं किया जाता है, बल्कि इसे शोक के रूप में मनाया जाता है और वो रावण की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं
स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर यहां पर रावण को जलाया गया तो दशानन का कहर उनके गांव पर बरपेगा
ऋषि विश्रवा को समर्पित एक प्रमुख धार्मिक स्थल विश्रवा मुनि मंदिर बिसरख गांव में ही है
मंदिर में पूजा-अर्चना करने के साथ ही आप रावण के परिवार के इतिहास से जुड़े पहलुओं के बारे में डिटेल में जान सकते हैं. यहां शिवलिंग भी है, जहां रावण और उसके पिता दोनों ही पूजा करते थे
रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने राक्षसी कैकेसी से विवाह किया था इसी वजह से दशानन में ब्राहम्ण और राक्षस दोनों के ही गुण मौजूद थे
कैकेसी और ऋषि विश्रवा के रावण के अलावा 2 और संतानें थीं कुंभकर्ण और शूर्पणखा