रूसी सैनिक यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों में निवासियों पर उनका पासपोर्ट स्वीकार करने का दबाव बनाने के लिए ‘साम-दाम-दंड-भेद’ का प्रयोग कर रहे हैं.
रूसी सैनिक इन निवासियों से रूस का पासपोर्ट स्वीकार करने के लिए न केवल उनके साथ मारपीट कर रहे हैं बल्कि उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन भी दे रहे हैं.
रूस ने पासपोर्ट के बिना जीना असंभव बनाकर, यूक्रेन के अपने कब्जे वाले इलाके में लगभग सभी लोगों पर अपना पासपोर्ट थोप दिया है.
रूसी पासपोर्ट स्वीकार करने का मतलब है कि इस कब्जे वाले क्षेत्र में रह रहे पुरुषों को उसी यूक्रेनी सेना के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार किया जा सकता है जो उन्हें मुक्त कराने के लिए जंग लड़ रही है.
संपत्ति के स्वामित्व को साबित करने तथा स्वास्थ्य देखभाल और सेवानिवृत्ति आय तक पहुंच बनाने के लिए रूसी पासपोर्ट की आवश्यकता होती है.
पासपोर्ट लेने से इनकार करने पर बच्चों की कस्टडी गंवानी पड़ सकती है, जेल हो सकती है या इससे भी खराब कुछ हो सकता है.
रूस के एक नए कानून में कहा गया है कि कब्जे वाले क्षेत्र में अगर किसी व्यक्ति के पास एक जुलाई तक रूसी पासपोर्ट नहीं होगा तो उसे ‘‘विदेशी नागरिक’’ मानकर जेल भेजा जाएगा.
रूस इन लोगों को प्रलोभन भी दे रहा है जिसमें कब्जे वाले क्षेत्र को छोड़कर रूस आने के लिए पैसा, मानवीय सहायता और नवजात शिशुओं के माता-पिता को पैसा तथा उनके बच्चों को रूस का जन्म प्रमाणपत्र देना शामिल है.
यूक्रेन के खेरसॉन क्षेत्र में व्याचेस्लाव रयाबकोव को रूसी सैनिकों द्वारा तीसरी बार पीटे जाने के बाद रूसी पासपोर्ट स्वीकार करने के लिए विवश होना पड़ा.