5000 साल पुराने इस मंदिर में मिलता है मोक्ष, शिवजी से जुड़ा है रहस्य
भगवान शिव के पशुपतिनाथ मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ का आधा भाग माना जाता है. यह नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर है.
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू से 3 कि.मी उत्तर-पश्चिम देवपाटन गांव में बागमती नदी के तट पर स्थित है.
मान्यता है कि आज भी यहां पर भगवान शिव विराजमान हैं. इसके अलावा इस मंदिर से बहुत से रहस्य भी जुड़े हैं.
देवों के देव कहे जाने वाले भगवान शिव का एक नाम पशुपति नाथ भी हैं. जिसका अर्थ है कि भगवान शिव चारों दिशाओं में विद्यमान हैं.
पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण ईसा पूर्व तीसरी सदी में सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष नामक राजा ने करवाया था.
इस मंदिर के निर्माण से जुड़े कुछ ऐतिहासिक मत भी हैं और इस पर यकीन करें तो मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था.
भगवान भोलेनाथ के धाम पशुपतिनाथ में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है, लेकिन वह इसे बाहर से देख सकते हैं.
मंदिर के गर्भगृह में पंचमुखी शिवलिंग है. कहते हैं कि ऐसा विग्रह दुनिया में कहीं और नहीं है. हिंदू पुराणों के अनुसार पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है.
मान्यता है कि 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य जन्म की प्राप्ति होती है. साथ ही व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उस पुन: शेष योनियों से गुजरना पड़ता है.
जिसमें से एक पशु योनि भी होती है. कहा जाता है कि पशु योनि अत्यंत कष्टदायक होती है इसलिए सभी मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रयास करते है.
पशुपतिनाथ मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
लेकिन भक्तों को इस बात का खास ध्यान रखना होता है कि वह भगवान शिव के दर्शन करने से पहले नंदी के दर्शन न करें.
मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसका पशु योनि में जन्म लेना निश्चित हैं.