सावन में क्यों नही छूना चाहिए  मांस? केवल धार्मिक परंपरा ही नहीं  बल्की इनसे जुड़े जानिए कुछ वैज्ञान‍िक कारण

भगवान श‍िव के प्रिय सावन महीनें में भक्‍त पूरी श्रद्धा से भोलेनाथ को प्रसन्न करने के ल‍िए संयम‍ित जीवन जीते हैं और पूजा-अर्चना भी करते हैं.

इस महीने में दान देने से और गरीबों की मदद करने से भी बहुत पुण्‍य मिलता है.

ह‍िंदू धर्म में इस महीने में भोजन से जुड़े भी कई न‍ियम हैं, जैसे की  मान्‍यता है कि सावन में मांसाहार नहीं खाना चाहिए.  

कई लोग जो हफ्ते में 3 से 4 द‍िन नॉन वेज खाते हैं, वह भी सावन के पव‍ित्र महीने में पूरी तरह शाकाहारी डाइट फॉलो करते हैं. पर असल में इस परंपरा के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं.

सावन का महीना, बारिश का महीना होता है और सूरज की रोशनी कम समय तक होती है, चारों तरफ बार‍िश की वजह से  नमी बढ़ जाती है.

इस वजह से हमारी पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है और मांसाहार पदार्थों को पचने में ज्यादा समय लगता है.

हमारे पाचन की 2 तरह की अग्‍नि सम और मंद होती है. सम अग्‍नि में शरीर में भोजन पचने में 5 से 6 घंटे लगते हैं जबकि मंद अग्‍नि होने पर भोजन पचने में 7 से 8 घंटे लगते हैं.

 पाचन शक्ति कमजोर होने से नॉन-वेज फूड आंतों में सड़ने लगते हैं और ऐसे में सावन के महीने में शरीर को लिए भारी या ऐसे भोजन को पचाना मुश्किल हो जाता है.

इसके साथ ही सावन के महीने में कढ़ी, दही, हरी पत्तेदार सब्‍ज‍ियां आद‍ि भी न खाने का नियम है. अक्‍सर लोग भोजन की इन मान्‍यताओं को महज धार्मिक नियम मानकर पालन नहीं करते.