एक ऐसी अजीबोगरीब परंपरा जिसके तहत लिव-इन में रहने लगते हैं कपल्स, जानें वजह
प्यार करने वाले शादी के बंधंन में बंधे बिना ही साथ रहने का फैसला लेते हैं, उसे लिव-इन रिलेशनशिप कहते हैं.
कहा जाता है कि ये कल्चर पश्चिमी देशों से भारत आया है, लेकिन हकीकत यह है कि देश के कई आदिवासी इलाकों में 'ढुकू' के नाम से लिव-इन की प्रथा पहले से चली आ रही है.
ढुकू कपल्स 70 की उम्र में भी शादी करते हैं. ये प्रथा सबसे ज्यादा झारखंड के कमार जनजाति के गांवों में देखी गई है.
यहां के जनजातीय बहुल इलाकों में सालों से लिव इन रिलेशनशिप जैसे रिश्ते में रह रहे 501 कपल का सामूहिक विवाह कराया गया है.
जिन जोड़ियों की शादी रचाई गई उनमें 20 से लेकर 70 साल तक की उम्र वाले महिला-पुरुष थे. शादी करने वाले कई जोड़े माता-पिता तक बन चुके हैं. कार्यक्रम में उनके बच्चे भी उनकी शादी का गवाह बने.
जनजातीय इलाकों में लिव-इन के इस रिश्ते को लोग ढुकु के नाम से जानते हैं. ऐसी जोड़ियां एक छत के नीचे एक साथ बरसों-बरस गुजारने के बाद भी अपने रिश्ते को शादी का नाम नहीं दे पाती.
ढुकु परंपरा के पीछे की सबसे बड़ी वजह आर्थिक मजबूरी है. दरअसल, आदिवासी समाज में यह अनिवार्य परपंरा है कि शादी के उपलक्ष्य में पूरे गांव के लिए भोज का इंतजाम करता है.
भोज के लिए मीट-चावल के साथ पेय पदार्थ हड़िया का भी इंतजाम करना पड़ता है. कई लोग गरीबी की वजह से इस तरह की व्यवस्था नहीं कर पाते और इस वजह से वे बिना शादी किए साथ में रहने लगते हैं.
ऐसी ज्यादातर जोड़ियों की कई संतानें भी हैं, मगर समाज की मान्य प्रथाओं के अनुसार शादी न होने की वजह से इन संतानों को जमीन-जायदाद पर अधिकार नहीं मिल पाता. ऐसे बच्चों को पिता का नाम भी नहीं मिल पाता.
ढुकु शब्द का अर्थ है ढुकना या घुसना. जब कोई महिला बिना शादी किए ही किसी पुरुष के घर में घुस जाती है यानी रहने लगती है तो उसे ढुकनी के नाम से जाना जाता है और ऐसे जोड़ों को ढुकु कहा जाता है.
ऐसी महिलाओं को आदिवासी समाज सिंदूर लगाने की भी इजाजत नहीं देता. अब साल-दर-साल से रहती चली आ रही जोड़ियों को सामाजिक और कानूनी मान्यता दिलाने का अभियान तेज हुआ है.