एक ऐसा अनोखा मंदिर जिसका शिखर पहले बना और नींव बाद में,अद्भुत है इसकी कहानी
भारत में प्राचीन काल में स्थापत्य कला कितमी विकसित थी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हमारे प्राचीन मंदिर देते हैं.
इनमें से कुछ की वास्तुकला तथा निर्माण तकनीक देखकर आज भी इंजीनियर हैरान रह जाते हैं कि उस समय इस तरह के मंदिर का निर्माण न जाने कैसे किया गया होगा.
मध्य प्रदेश का मंदसौर जिला मुख्यालय से 106 किलोमीटर दूर गरोठ तहसील का धर्मराजेश्वर मंदिर भी ऐसा ही एक अद्भुत उदाहरण है.
इस मंदिर को विशाल चट्टान काटकर बनाया गया है. इस अद्भुत और अकल्पनीय मंदिर का निर्माण ही उल्टे तरीके से हुआ है.
इसमें शिखर पहले बना और नीचे का हिस्सा यानी नींव का निर्माण बाद में हुआ. गुफा मंदिर के नाम से भी पहचाने जाने वाला यह मंदिर वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है.
धर्मराजेश्वर मंदिर की वास्तुकला एलोरा के कैलाश मंदिर के समान है. यह मंदिर एकात्मक शैली में बना है. केंद्र में 14.53 मीटर की ऊंचाई और 10 मीटर की चौड़ाई वाला एक बड़ा पिरामिड के आकार का मंदिर है.
मंदिर के शिखर को उत्तर भारतीय शैली में डिजाइन किया गया है. मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों से उकेरा गया है.
धर्मराजेश्वर मंदिर भले ही जमीन के अंदर बना है लेकिन सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह तक जाती है.
ऐसा लगता है मानो भगवान सूर्य घोड़ों पर सवार होकर शिव जी और विष्णु जी के दर्शन के लिए आए हों.