टैक्स बचाना चाहते थे Baba Ramdev! सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह दिया झटका
भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद माफी मांगने वाले बाबा रामदेव और उनके Patanjali ट्रस्ट को एक और झटका लगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 19 अप्रैल को सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (CESTAT) की इलाहाबाद पीठ के 5 अक्टूबर 2023 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
न्यायाधीकरण ने अपने आदेश में कहा था कि Patanjali Yogpeeth Trust अपने आवासीय और गैर-आवासीय योग शिविरों पर सर्विस टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी था, क्योंकि वह एंट्री फीस लेता है.
ट्रस्ट की अपील का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि CESTAT ने इसे ‘स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा’ के रूप में वर्गीकृत करके सही किया था.
CETSAT ने पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के इस तर्क को भी खारिज कर दिया था कि उसे योग शिविरों के प्रतिभागियों से जो प्राप्त हुआ वह दान था.
पतंजलि ट्रस्ट ने सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, मेरठ के अक्टूबर 2012 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उस पर 4.94 करोड़ रुपये का सर्विस टैक्स और इतनी ही राशि का जुर्माना लगाया गया था.
CESTAT के समक्ष बहस करते हुए ट्रस्ट ने तर्क दिया कि उसकी गतिविधियां स्वास्थ्य-फिटनेस सेवाओं के तहत टैक्स के योग्य नहीं थीं, क्योंकि इसका विस्तार शारीरिक फिटनेस के लिए योग तक था, न कि चिकित्सीय उद्देश्य के लिए योग तक.