तमिलनाडु का थाईपुसम त्योहार है इसलिए खास? जानें किसकी होती है पूजा
भारत देश में अलग-अलग धर्मों द्वारा कई त्यौहार मनाए जाते हैं, इन्हीं में से एक त्योहार है थाईपुसम
थाईपुसम भारत ही नहीं कई और देशों में भी लोग इस त्यौहार को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं
थाईपुसम भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय (भगवान मुरुगन) के तमिल भक्तों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है
इस दिन लीग एक अर्ध-वृत्ताकार लकड़ी का वाहक बनाते हैं, जो भक्तों द्वारा भगवान मुरुगन के लिए चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के लिए इस्तेमाल होती है
पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ कावड़ी को ले जाने पर नाचने की रस्म को कवाड़ी अट्टम कहा जाता है. कुछ लोग दूध से बने बर्तन भी अपने सिर रखते हैं
वहीं, जो लोग त्यौहार मानते हैं और विशेष रूप से कावड़ी ले जाने वाले भक्त ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, व्रत रखते हैं और सिर्फ शाकाहारी भोजन का सेवन करते हैं
जबकि कवाड़ी अट्टम थाईपुसम की सबसे विशिष्ट विशेषताओं में से एक है. इसके जरिए ये लोग परमात्मा में अपने अटूट विश्वास का प्रदर्शन करते हैं
थाईपुसम को वो दिन माना जाता है जब देवी पार्वती ने अपने योद्धा पुत्र मुरुगन को वेल (एक दिव्य भाला) उपहार में दिया था
क्योंकि वो सोरापदमन नामक एक दानव के अत्याचार को समाप्त करने के लिए युद्ध के मैदान में गए थे