दिल्ली की वो गुमनाम मीनार जहां लटकाया जाता था चोरों का सिर, जाने इतिहास
भारत में राज करने वाले कई शासकों ने उस दौरान देश में ऊंची-ऊंची इमारतों का निर्माण करवाया था जो भारत की कई ऐतिहासिक धरोहर में शामिल हैं.
कई इमारते तो ऐसी बनी हैं जिन्हें देखने के लिए विश्व भर से पर्यटक यहां आते हैं. वहीं दिल्ली एक ऐसी जगह है जहां आपको कई खूबसूरत किले, मकबरे, मस्जिदों के साथ मीनारें भी काफी खड़ी हुई मिल जाएंगी.
अगर बात करें मीनारों की तो दिल्ली में आपने कुतुब मीनार काफी बार देखा होगा लेकिन क्या आप जानते हैं राजधानी की एक ऐसी मीनार भी है जिसे चोर मीनार के नाम से जाना जाता है?
कहते हैं इस जगह का संबंध चोरों से है जिनका सिर यहां टाग दिया जाता था. सुनने के बाद यकीनन आपका देखने का मन बन रहा होगा लेकिन उससे पहले यहां का इतिहास जान लेते हैं.
चोर मीनार दिल्ली के हौज खास इलाके के औरंगजेब मार्ग पर मौजूद है माना जाता है कि ये मिनार 12 शताब्दी में बनवाई गई थी और इसे बनाने का पूरा श्रेय अलाउद्दीन खिलजी को जाता है जो खिलजी राजवंश से जुड़ा हुआ था.
इस मीनार में 225 सुराख हैं और कहते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में चोरी और डकैती के दोषियों को मारकर उनका सिर इन सुराखों से लटका दिया जाता था.
ऐसा इसलिए होता था ताकि कोई भी अलाउद्दीन के खिलाफ बगावत ना कर दे और इस तरह से वे डर के रहें.
वहीं सिरों की संख्या अगर सुराखों से ज्यादा रहती थी तो कम जरूरी मरे हुए लोगों के सिरों को मीनार के बाहर एक-एक पिरामिड पर रख दिया जाता था.
हालांकि, इस मीनार को बनवाने की सही जानकारी नहीं है, और कई लोगों को इस जगह के बारे में जानते भी नहीं हैं. दिल्ली के हौज खास में मौजूद ये मीनार दिल्ली में घूमने आए पर्यटकों की नजरों से बेहद दूर है.