वो पक्षी जिसकी आंख मनुष्यों से कई गुना तेज, इतने मील दूर से देख लेता है शिकार
दुनिया में आमतौर पर जितने भी क्रिएचर यानि जीव जंतु हैं, उन सबके पास आंखें हैं. जिससे वो देखते हैं, कुछ जीव जंतु हमारी तरह साफ साफ देखते हैं तो कुछ को चीजें रंगों के तौर पर नजर आती हैं.
आंखों का आकार ऑप्टिकल रिज़ॉल्यूशन निर्धारित करता है. आंखें जितनी बड़ी होंगी, रिज़ॉल्यूशन उतना ही अधिक होगा. लेकिन इसके अपवाद भी हैं.
मसलन बाज का वजन एक किलो से भी कम होता है. उसकी आंखें छोटी होती हैं. फिर भी वह हमसे कई गुना बेहतर देख सकता है, भले ही वह बहुत छोटा और हल्का हो.
चील और बाज़ जैसे शिकारी पक्षियों की आंखें जानवरों के साम्राज्य में सबसे अच्छी होती हैं. उनकी आंखें आगे की ओर होती हैं, जो उन्हें बेहतरीन दूरबीन दृष्टि प्रदान करती हैं.
हालांकि बाज की आंख का आकार इंसान के समान ही होता है, बाज की आंख का पिछला भाग चपटा होता है.
वजन के हिसाब से उनकी आंखें उनके दिमाग से आकार में बड़ी बताई जाती हैं. ये उनकी आंख की ताकत ही है कि दुनिया में अच्छे कैमरों की परख को ईगलआई के तौर पर माना जाता है.
तेज-दृष्टि वाले लोगों को कभी-कभी "ईगल-आइड" कहा जाता है. ईगल्स पांच अलग-अलग रंग की गिलहरियों की पहचान कर सकते हैं. अपने शिकार का पता लगा सकते हैं, भले ही वे छिपे हुए हों.
चील के अलावा, बाज और उल्लू जैसे पक्षियों को रैप्टर के रूप में भी जाना जाता है, जिनमें असाधारण दृष्टि होती है जो उन्हें अपने शिकार का आसानी से शिकार करने में सक्षम बनाती है.
रैप्टर को "शिकारी पक्षी" के रूप में भी जाना जाता है. उन्हें उनके शिकारी शिकार शैली के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है. इसका मतलब है कि वे शिकार का पता लगाने और उसे पकड़ने के लिए अपनी तेज इंद्रियों का उपयोग करते हैं.
कहा जाता है कि एक बाज 3.2 किमी ( 2 मील) दूर से खरगोश को देख सकता है. जैसे ही बाज अपने शिकार पर हमला करने के लिए आसमान से उतरता है, आंखों की मांसपेशियां लगातार तेज फोकस रखने के लिए आंखों को समायोजित करती हैं.
चील की दृष्टि काफ़ी विकसित होती है जो उन्हें शिकार को आसानी से देखने की अनुमति देती है.
चील की दृष्टि 20/5 की बेहतरीन होती है, जबकि औसत इंसान की दृष्टि सिर्फ़ 20/20 होती है. इसका मतलब है कि चील 20 फ़ीट (या 6 मीटर) दूर से ऐसी चीज़ें देख सकती है जिन्हें हम सिर्फ़ 5 फ़ीट (या 1.5 मीटर) दूर से देख सकते हैं.