भारत का वो अनोखा मंदिर, जहां लोग करते हैं देवी के रूप में बिल्ली की पूजा, जानें वजह

वैसे तो हिंदू धर्म हमेशा से देवताओं की सवारी पशु पक्षी ही रहे हैं. जिसके कारण देवताओं के प्रतीक चिह्न और सवारी के रूप में इन जानवरों को अहमियत दी जाती है.

जैसे कि गणेश जी कि सवारी चूहा है या दुर्गा मां की सवारी शेर है. लेकिन भारत में एक मंदिर ऐसा भी है जहां पर हजारों सालों से देवी के रूप में बिल्ली की पूजा की जाती है.

माता के रूप में पूजा करने के लिए यहां लोगों की भारी भीड़ भी जमा होती है. यह अनोखा मंदिर कर्नाटक के मांड्या जिले से 30 किमीदूर बेक्कालेले ग्राम में स्थित है.

कन्नड़ भाषा में बिल्ली को बेक्कू कहते हैं, इसलिए इस गांव का नाम भी इसी शब्द के आधार पर रखा गया है.

बताया जाता है कि कर्नाटक में लोग बिल्लियों को बहुत शुभ माना जाता है और यहां हजारों सालों से लोग बिल्लियों की पूजा कर रहे हैं. ऐसे में आइये जानते हैं आखिर इस मंदिर की कहानी क्‍या है और यहां बिल्‍ली को देवी क्‍यों मानते हैं गांव वाले.

मान्यता है कि देवी मंगम्मा बुरी शक्तियों से गांव की रक्षा करती हैं और एक बार वो बिल्ली के रूप में अपनी शक्तियां दिखाकर गायब हो गई थीं और उस जगह पर एक निशान छोड़ गयी थीं. उसी दिन से यहां देवी के रूप में बिल्ली की पूजा की जाती है.

कर्नाटक के बेक्कालेले गांव के लोग बिल्लियों को बहुत शुभ मानते हैं, यही कारण है कि वे बिल्लियों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और बिल्लियों की पूरी तरह से रक्षा करते हैं.

यहां जब कोई बिल्ली मर जाती है तो गांव के लोग उसे विधि विधान के साथ दफनाते हैं.

गांव के लोग मिलकर यहां मंगम्मा देवी का त्योहार भी मनाते हैं. अगर आप भी कभी कर्णाटक घूमने जाएं तो एक बार देवी मंगम्मा के दर्शन ज़रूर करके आएं.