राजस्थान का वो गांव, जहां से रातों-रात गायब हो गए थे सारे लोग, दिलचस्प है कहानी

राजस्थान में लाखों की संख्या में टूरिस्ट घूमने के लिए हर साल आते हैं. राजस्थान की सांस्कृति सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.

इसके साथ ही इस राज्य में कुछ राज़ ऐसे हैं. जिनसे अबतक पर्दा नहीं उठ सका है. ऐसा ही एक रहस्मयी गांव है जैसलमेर जिले में है जिसका नाम है कुलधरा. 

कहा जाता है कि यहां लोगों से भरा पूरा गांव रातों-रात ही एकदम से गायब हो गया था. इस गांव में लोग आज भी जाने से डरते हैं. चलिए जानते हैं क्या है इसकी पूरी कहानी. 

राजस्थान में बसा यह गांव जैसलमेर जिले से करीब 17 किलोमीटर दूर है. यह गांव अपने आप में काफी रहस्यमयी है. 

एक समय तक इस गांव में 5000 से भी ज्यादा लोग रहा करते थे. लेकिन अब इस गांव में दूर-दूर तक सन्नाटा है. एक समय पर इस गांव में इंसानों की खूब चहल पहल हुआ करती थी. 

लोगों के बड़े ही सुदंर-सुंदर घर हुआ करते थे. लेकिन अब यहां एक भी लोग नहीं रहते हैं और जो कभी घर हुआ करते थे.अब वो खंडहर में तब्दील हो चुके हैं.

इस गांव में घुसते ही लोगों को एक अजीब तरह की नेगेटिव एनर्जी महसूस होती है. इस गांव की कहानी है कि यहां कभी 5000 से ज्यादा लोग रहते थे. 

गांव को पालीवाल ब्राह्मणों ने बसाया था. खेती बाड़ी पर जिनकी जीविका चलती थी. लेकिन फिर एक समय गांव में कुछ ऐसा हुआ की रातों-रात पूरा गांव खाली हो गया. 

कुलधरा गांव में पालीवाल ब्राह्मणों के समय सालिम सिंह रियासत का दीवान था. जो बेहद अय्याश और क्रूर था. लोग उसकी हरकतों से काफी परेशान थे.

एक रोज सालिम सिंह की नजर गांव के प्रधान की बेटी पर पड़ी उसने प्रधान से अपनी बेटी की उससे शादी करने का प्रस्ताव रखा. प्रधान और बाकी गांव वाले सालिम सिंह के व्यक्तित्व से अच्छी तरह वाकिफ थे. सालिम सिंह ने प्रधान को फैसला लेने के लिए कुछ समय दिया. 

मना करने पर उसने प्रधान को धमकी दी कि वह आकर उसकी बेटी के खुद उठा ले जाएगा. इसके बाद गांव के प्रधान ने गांव के बाकी लोगों के साथ मिलकर बैठक की और सभी ने सामूहिक रूप से गांव छोड़कर जाने का फैसला किया. 

फिर रातों रात हजारों लोग अपना सामान लेकर गांव से कूच कर गए. जिसके बाद यह गांव कभी दोबारा नहीं बस सका. कहा जाता है कि ब्राह्मण गांव खाली करते वक्त इस गांव को श्राप देकर गए थे कि यह गांव द्वारा कभी नहीं बस पाएगा और हुआ भी कुछ ऐसा ही.  

वक्त के साथ कुलधरा के आसपास के गांव तो दोबारा बस गए. लेकिन कुलधरा दोबारा नहीं बस सका. आज भी यहां कोई जाता है. तो उसे शाम के बाद इस गांव में घुसने की इजाजत नहीं दी जाती.