भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समय जिनेवा के दौरे पर हैं जहां उन्होंने हाल ही में एक ऐसा अनुभव साझा किया, जो उनके जीवन के एक बेहद महत्वपूर्ण और व्यक्तिगत क्षण से जुड़ा है.

जब वह जिनेवा में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत कर रहे थे, तब उनसे 1999 के कांधार विमान हाईजैक कांड पर सवाल किया गया.

इस घटना पर हाल ही में एक वेब सीरीज बनी है, जिसके कारण यह फिर से चर्चा में आ गया है.

हालांकि, इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने एक और घटना का जिक्र किया, जो उनके लिए न केवल पेशेवर, बल्कि निजी तौर पर भी बेहद खास थी.

जयशंकर ने बताया कि उन्होंने 1999 के कांधार हाईजैक पर बनी सीरीज नहीं देखी, लेकिन एक और अपहरण घटना को बहुत करीब से देखा है.

यह घटना 1984 की है, जब एक विमान को हाईजैक किया गया था. उस समय जयशंकर एक युवा अफसर थे और उस टीम का हिस्सा थे, जो इस अपहरण की समस्या का समाधान निकाल रही थी.

हालांकि, जयशंकर के लिए इस घटना की खासियत सिर्फ इतनी नहीं थी कि वह इसे पेशेवर रूप से संभाल रहे थे.

असली चौंकाने वाला मोड़ तब आया, जब उन्होंने अपहरण के कुछ घंटों बाद अपनी मां को फोन किया और उन्हें इस घटना के बारे में बताया.

उस समय उन्हें पता चला कि उनके पिता, जो भारत के एक वरिष्ठ अधिकारी थे, उसी फ्लाइट में सवार थे, जिसे आतंकियों ने हाईजैक किया था.

यह हाईजैक 24 अगस्त 1984 को हुआ था, जब ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन के सात आतंकियों ने फ्लाइट IC 421 का अपहरण कर लिया था.

यह विमान चंडीगढ़ से श्रीनगर जा रहा था और उसमें 74 यात्री सवार थे. आतंकवादियों की योजना इस विमान को अमेरिका ले जाने की थी, लेकिन वे असफल रहे.

विमान को पहले लाहौर और फिर कराची ले जाया गया, और अंततः दुबई में लैंड कराया गया. दुबई में यूएई के उस समय के रक्षा मंत्री मोहम्मद बिन राशिद अल मख्तूम के हस्तक्षेप से सभी यात्रियों को सुरक्षित बचा लिया गया था.