वो महारानी जिसने गहने रखने के लिए यहां से मंगवाई थी खास तिजोरी, जानें अब कहां है
साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो उस समय देश में 565 रियासते थीं. सबके अपने राजा, महाराजा और नवाब थे. इनके नियम और कानून भी अलग-अलग थे.
इन्हीं में से एक बड़ौदा रियासत देश की तीसरी सबसे अमीर रियासत थी. इसको यहां तक पहुंचाने में महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ का योगदान था.
उन्होंने तमाम स्कूल-कॉलेज की नींव रखी. उनकी पत्नी महारानी चिमनबाई ने इसमें भरपूर साथ दिया. महारानी चिमनबाई के पास अनगिनत संपत्ति थी. उन्होंने ज्वेलरी का अच्छा खासा शौक था.
उनके पास सोने, चांदी, हीरे, मोती के एक से बढ़कर एक गहने थे. इन्हें रखने के लिए लंदन से एक खास तिजोरी मंगवाई थी. जिसे रेटनर सेफ कंपनी ने बनाया था.
महारानी ने जो तिजोरी बनवाई वह अपने आप में बहुत खास थी. उस तिजोरी का लॉक सिस्टम ऐसा था कि उसको कोई चोर तोड़ नहीं सकता था.
ना ही आग या पानी जैसी चीज से इसको कोई नुकसान नहीं होता. महारानी की खास तिजोरी अब सयाजीराव यूनिवर्सिटी में है.
दरअसल, महाराजा सयाजीराव ने भारत के अलग-अलग हिस्सों से बहुमूल्य पांडुलिपियों को इकट्ठा किया था. इसमें कई ऐसी पांडुलिपियां थीं, जो एकदम खत्म होने के कगार पर थीं. सबको उठाकर गुजरात ले आए.
पर उन्हें चिंता सताती थी कि कहीं ये पांडुलिपियां खत्म न हो जाएं इसके बाद उन्होंने महारानी से अपनी तिजोरी दान देने को कहा और महारानी ने खुशी-खुशी दे दी.
अब उनकी तिजोरी सयाजीराव यूनिवर्सिटी के ओरिएंटल इंस्टिट्यूट में है. उसमें बहुमूल्य पांडुलिपियां और दस्तावेज रखे गए हैं.