कहानी कनॉट प्लेस की…जहां 100 साल पहले गांव थे, फिर कैसे बसा शहर?

दिल्ली में रहने वाला हर शख्स कभी न कभी कनॉट प्लेस जरूर जाता होगा. 

दिल्ली के सेंटर में बसा ये क्षेत्र अपने डिजाइन और शॉपिंग की दुकानों के लिए काफी फेमस है. 

पर क्या आप जानते हैं आज जहां कनॉट प्लेस और संसद मार्ग है, वहां एक सदी पहले कुछ गांव हुआ करते थे. 

बता दें कि कनॉट प्लेस को 1929 से 1933 के बीच अंग्रेजों ने बनवाया था. 

आज जहां कनॉट प्लेस है वहां करीब 100 साल पहले तक कई गांव थे.

यहां माधोगंज, जय सिंगपुरा और राजा का बाजार नाम के गांव थे. पूरा इलाका एकदम गांव की तरह था. न पक्के मकान, न दुकानें. 

कनॉट प्लेस बनाने से पहले इन गांवों के बाशिंदों को करोलबाग के पास बसाया गया. 

तब कनॉट प्लेस और पास के इलाकों में घने पेड़-पौधे थे और यहां हिरण, जंगली सूअर वगैरह घूमते रहते थे.

कनॉट प्लेस का डिजाइन 1920 के दशक में ब्रिटिश आर्किटेक्ट रॉबर्ट टोर रसेल ने तैयार किया था. उन्हें कनॉट प्लेस का वास्तुकार कहा जाता है.