भारत के इस द्वीप पर रहती है दुनिया की सबसे पुरानी जनजाति, जानें क्या है इनका नाम?
अंडमान द्वीप समूह में एक द्वीप है उसका नाम है सेंटीनल, जिसमें जारवा नाम की जनजाति रहती है. माना जाता है कि वो दुनिया के सबसे पुराने जीवित आदिवासी हैं, जो यहां रहते हैं.
करीब 60,000 सालों से ये द्वीप उनका आशियाना है. इस जगह पर बाहरी लोग नहीं जा सकते, क्योंकि यहां जाना किसी के लिए बहुत जानलेवा है.
05-06 साल पहले एक दो विदेशी चुपचाप वहां गए तो लौटकर जिंदा नहीं आ पाए, केवल वहां से उनकी मृत बॉडी ही लौटी.
आधिकारिक तौर पर भारत सरकार ने यहां किसी के भी जाने पर पाबंदी लगाई हुई है. वैसे जारवा नाम की ये जनजाति अंडमान के एक दूसरे द्वीप ओंगे में भी रहती है.
जारवा जनजाति के अब मुश्किल से 400 के आसपास सदस्य ही बचे होंगे, जो 40-50 के अलग ग्रुप्स में रहते हैं.
जारवा सुअर, कछुआ औऱ मछलियों का शिकार तीर-धनुष से करते हैं. यही उनके जीवन जीने का सहारा हैं. साथ ही उनके खाने में फल, जड़वाली सब्जियां और शहद भी हैं.
उनके तीर धनुष चोई लकड़ी से बने होते हैं, जिसे इकट्ठा करने के लिए वो बतरंग नाम के द्वीप की ओर जाते हैं.
सेंटीनल द्वीप में रहने के कारण जारवा जनजाति के लोगों को सेंटिनेलिस भी कहते हैं.
उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं कि कोई वहां आए. इस जनजाति को बहुत खतरनाक माना जाता है.