यहां मौजूद है 9 महल वाला भव्य किला, जिसमें छिपा है सोना ही सोना! जानें इसका इतिहास
कुछ किलों की बनावट देख लोग उन्हें कभी नहीं भूला पाते. ऐसा ही एक किला बना है राजस्थान के बीकानेर में. इस किले का नाम है जूनागढ़ का किला.
इस किले को हमलों से बचाने के लिए बनवाया गया था. इसके एक-एक हिस्से को कुछ इस तरह बनाया गया है कि दुश्मनों ने हमला तो किया, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए.
कुछ लोगों को तो जूनागढ़ किले का नाम सुनते ही खजाना याद आने लगता है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे इसके पीछे की वजह.
15वीं सदी में महाराजा राव बीका ने जूनागढ़ किला बनवाया था. पूरे किले पर लाल पत्थर का काम और राजस्थानी राजपूत शैली दिखाई देती है.
महाराजा ने राजधानी को सुरक्षित बनाने के लिए इस किले को बनवाया था. किले के अंदर भी खुफिया गेट और कई गुफाएं बनाई गई, ताकि दुश्मन चाहकर भी हमला न कर पाएं.
किले में बने महल इतने खास है कि तकनीक देख लोग हैरान रह जाते हैं. जैसे तपती गर्मी में भी इस किले का बादल महल कूल-कूल रहता है.
शुरुआत में जूनागढ़ किले को चिंतामणि किला या बीकानेर का किला कहा जाता है. लेकिन बाद में इस किले का नाम बदलने का फैसला लिया गया. यह राजस्थान के उन किलों से है, जो किसी पहाड़ी पर नहीं बने हैं. जूनागढ़ शब्द का मतलब पुराना होता है.
फूल महल, रानियों का महल, अनूप महल, मोती महल और गर्भ गंगा विलास जैसे 9 महल इस किले में बने हैं. यहां हरमंदिर साहिब और लक्ष्मी नारायण मंदिर भी बना हुआ है.
इस किले के मुख्य दरवाजे को हाथी पोल और पश्चिमी द्वार को मेहरान गेट कहते हैं. जूनागढ़ किले में एक म्यूजियम भी मौजूद है. जूनागढ़ किले के खजाना का रहस्य आज तक छिपा हुआ है. कुछ दिन पहले ही इस किले की खाई से सोने के बिस्किट मिले थे.
स्थानीय लोगों का कहना है कि महाराजा ने इस किले के अलग-अलग हिस्सों में खजाना छुपाया हुआ था, जो आज भी मौजूद है. इस किले की जमीन को सोने की जमीन कहा जाता है.
ब्रिटिश सेना ने प्रथम विश्वयुद्ध में जिस द्विपंखी विमान का इस्तेमाल किया था, वो आज भी इस किले में खड़ा है. अंग्रेजों ने महाराजा गंगा सिंह को विमान तोहफे में दिया था. कई दशकों से यह प्लेन यहीं खड़ा है.