इन 3 लोगों ने बोला झूठ तो झेलना पड़ा मां सीता का श्राप, जानें वजह
आज हम आपको रामयण का एक अनोखा किस्सा सुनाने जा रहे हैं जब माता सीता ने क्रोध में आकर भयंकर श्राप दिया था.
यह श्राप उन प्राणियों को दिया गया था जिन्होंने माता सीता और भगवान राम के समक्ष झूठ बोला था.
कथा के अनुसार वनवास के दौरान भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण पितृ पक्ष के समय श्राद्ध करने के लिए गया धाम पहुंचे थे.
श्राद्ध की विधि में प्रयोग होने वाली आवश्यक सामग्री को जुटाने के लिए प्रभु श्री राम और लक्ष्मण नगर की ओर चले गए.
श्री राम और लक्ष्मण को दोपहर हो गई थी लेकिन दोनों में से कोई भी सामग्री के साथ पुनः श्राद्ध के स्थान पर नहीं पहुंचा था.
तब माता सीता ने गया जी के आगे फल्गू नदी के तट पर राजा दशरथ का पिंडदान कर श्राद्ध कर्म की विधि पूर्ण को पूर्ण किया.
श्राद्ध कर्म की विधि को करते समय माता सीता ने वहां मौजूद वटवृक्ष, केतकी के फूल और गाय को साक्षी बनाया.
जब श्री राम लौटकर आए तब माता सीता ने उन्हें पूरा वृत्तांत बताते हुए श्राद्ध पूर्ण कर लेने की बात कही.
सीता ने कहा कि श्राद्ध के समय वटवृक्ष, गाय, कौवा और फल्गु नदी वहां उपस्थित थे. वे साक्षी के तौर पर इन चारों से सच्चाई का पता लगा सकते हैं.
जब भगवान राम ने पुष्टि के लिए इन तीनों से पूछा तो तीनों ने यह कहते हुए झूठ बोल दिया कि यहां कोई श्राद्धकर्म नहीं किया गया है. यह सुनकर दोनों भाई देवी सीता से नाराज हो गए.
तब क्रोध में आकर सीता ने तीनों को झूठ बोलने की सजा के तौर पर श्राप दे दिया.