ये हैं अंतिम संस्कार के अनोखे रिवाज- कहीं शव का सूप तो कहीं लाश की मोती

अंतिम संस्कार दुनिया भर में निभाई जाने वाली एक ऐसी प्रथा है जिसमें किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसे आखिरी विदाई दी जाती है. 

हालांकि ये अंतिम विदाई कुछ जगहों पर इतनी भयानक होती है जिन्हें सुनकर ही आपको रोंगटे खड़े हो जाएंगे. 

ये प्रथा तो सुनकर ही काफी अजीब लग रही है कि ऐसा भी होता है क्या, अंतिम संस्कार के नाम शव को ही खा जाना, पर ये बिल्कुल सच है. 

लगभग 8 लाख साल पुरानी ये प्रथा आज भी इंडो-यूरोपीय इलाकों में चली आ रही है. इस प्रथा में मरने के बाद लोग शवों को ही काटकर खा जाते हैं. 

मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के तौर पर उनके शवों को रंग-बिरंगे मोतियों-माणकों में बदल दिया जाता है. यानी व्यक्ति के राख को रत्नों में संरक्षित कर लिया जाता है. 

मेडागास्कर जैसे इलाकों में आज भी ये पंरपरा है कि जब उनके स्वजनों की मौत होती है तो अंतिम संस्कार के रूप में पहले वो उनके शवों को दफनाते हैं और फिर कुछ दिन बाद वापस उस कब्र को खोद कर शव को बाहर निकालते हैं.

तब तक वो शव कंकाल रह जाता है. ये देखने के बाद उनके परिजन उस कंकाल को कपड़े में लपेटते हैं और बाहर निकाल कर अपने गावों में रखकर उसी के सामने नाच-गाना कर जश्न मनाते हैं. 

तिब्बत में अंतिम संस्कार का ये अनोखा तरीका अभी भी अपनाया जाता है. यहां के बौद्ध धर्म से जुड़े लोग अपने स्वजनों के अंतिम संस्कार के लिए इसे अपनाते हैं. 

यहां शव को पहले छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है. फिर उन टुकडो़ं को अंतिम संस्कार वाली जगह पर ले जाया जाता है. इसके बाद इन टुकड़ों को किसी भी अनाज के आटे के घोल में डुबो दिया जाता है. इसके बाद इन टुकड़ों को बाज और गिद्ध जैसे पक्षियों के लिए फेंक दिया जाता है.

अमेजन के जंगलों में पाई जाने वाली यानोमानी जनजाति एंडोकैनिबलिज्म रिवाज को फॉलो करते हैं.

इस रिवाज के मुताबिक जब भी घर में किसी की मौत होती है तो वे लोग पहले शव को पत्तों से ढक देते हैं फिर एक महीने बाद उस राख का सूप बनाकर पूरा परिवार उसे पिता है. 

एक जगह ऐसी भी है जहां किसी अपने के मरने पर लोग अपने हाथों की उंगलियां काट लेते थे. दरअसल पपुआ न्यू गिनी जैसे देशों में ये प्रथा कई अर्से से चली आ रही थी लेकिन अब इस पर बैन लगा दिया है.

क्योंकि इस प्रथा में शव की उंगलियां नहीं बल्कि मरने वाले शख्स के परिजनों में से किसी की एक की उंगली काटी जाती थी.