मरने के बाद 1 रात के लिए 'जिंदा' हो गए थे महाभारत के ये योद्धा, जानिए कैसे

महाभारत के युद्ध में बहुत से वीर योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए थे. जिसमें सभी कौरवों के साथ पांडवों के पक्ष में लड़ रहे कई योद्धाओं की भी मृत्यु हो गई थी.

महाभारत युद्ध के बाद धृतराष्ट्र, गांधारी, संजय, कुंती और विदुर सभी वन में जाकर बस गए और युधिष्ठिर हस्तिनापुर के राजा बने. 

एक बार सभी पांडवों की अपनी माता से मिलने की इच्छा हुई तब पांडव उनसे मिलने के लिए वन पहुंचे. 

जहां उन्हें देखते ही विदुर ने अपने प्राण त्याग दिए और धर्मराज के रूप में युद्धिष्ठिर में समाहित हो गए.

कुछ देर बाद महर्षि वेदव्यास भी वहां आए और युधिष्ठिर में विदुर के समाहित होने की वजह बताई. जिसके बाद उन्होंने सभी को मनचाहा वर मांगने को कहा. 

महर्षि वेदव्यास के यह कहते ही धृतराष्ट्र और गांधारी ने अपने मरे हुए पुत्रों को देखने की इच्छा जताई. उनके साथ ही कुंती ने भी अपनी मृत संतानों को देखने की इच्छा जताई.

वेदव्यास सभी को लेकर गंगा किनारे पहुंचे और जैसे ही रात हुई महर्षि वेदव्यास ने गंगा नदी में प्रवेश किया. उसके बाद पांडव व कौरव पक्ष के सभी मृत योद्धाओं को पुकारा. 

थोड़ी ही देर में भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण, दुर्योधन, दुशासन, अभिमन्यु, धृतराष्ट्र के सभी पुत्र, घटोत्कच, द्रौपदी के पांचों पुत्र, राजा द्रुपद, धृष्टद्युम्न, शकुनि जैसे कई वीर जल से बाहर निकल आए. 

उन सभी के मन में किसी भी प्रकार का अहंकार व क्रोध नहीं था. सभी के मन में अपने मृत परिजनों को देख हर्ष छा गया. 

पूरी रात अपने मृत परिजनों के साथ बिता कर सभी के मन में संतोष हुआ. अपने मृत पुत्रों, भाइयों, पतियों व अन्य संबंधियों से मिलकर सभी का संताप दूर हो गया.