दिल्ली के इस मीनार में टांगा जाता था चोरों का सिर, जानें क्या है पूरी कहानी?
चोर मीनार दिल्ली के इतिहास का वो हिस्सा है, जिसे आज ज्यादातर लोगों ने भुला दिया
इसका संबंध दिल्ली पर राज करने वाले खिलजी वंश से जुड़ा है और यह 14वीं सदी में बनी मीनार है
मीनार की चिनाई दूर से ही नजर आ जाती है और इसे धनुषाकार (Arched) गेट जैसी आकृति वाले एक मंच पर बनाया गया है
कुतुब मीनार की तरह चोर मीनार कोई बहुत ऊंची इमारत नहीं है
लेकिन इसकी खासियत मीनार पर बने कुल 225 छेद हैं, जो इस मीनार को रहस्यमय बनाते हैं
स्थानीय लोगों का मानना है कि ये छेद भाले बाहर निकालने के लिए बनाए गए थे
लेकिन कुछ इतिहासकार इन छिद्रों को अलाउद्दीन खिलजी के निर्दयता और खूनी इतिहास सो जोड़कर देखते हैं
इतिहासकारों का मानना है कि अलाउद्दीन खिलजी इन छिद्रों का इस्तेमाल चोरों के कटे हुए सिरों को लटकाने के लिए करता था
ताकि आगे से किसी भी लुटेरे या चोर की ऐसी हिम्मत न हो