कई रहस्यों को बड़े-बड़े एक्सपर्ट भी नहीं सुलझा पाते हैं. ऐसी एक अजीबोगरीब और रहस्यमय कुएं के बारे में बताएंगे है जिसके बीच में एक स्तंभ मौजूद है.
श्रीविल्लीपुतूर (Srivilliputhur) या तिरुविल्लीपुतूर (Thiruvilliputhur) भारत के तमिल नाडु राज्य के विरुदुनगर ज़िले में स्थित एक नगर है.
विरुधुनगर जिले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अर्ध-कृषि क्षेत्रों में स्थित है. इसे आकाश से दिखाई देने वाली सल्फर की भूमि के रूप में जाना जाता है.
यहां पर स्थित पेरिया कुलम कनमई के तट पर एक गोलाकार कुएं के आकार का जलसेतु है, जिसे ‘सात-आंखों वाला जलसेतु’ कहा जाता है.
यह जलसेतु पांड्य राजवंश के दौरान 7वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था. इसमें 7 चैनल हैं, जो पानी की गति को नियंत्रित करते हैं.
पेरिया कुलम तालाब कृषि के लिए आवश्यक पानी की प्रचुर आपूर्ति करता है. यह विशाल तालाब शहर के क्षेत्रफल का एक तिहाई हिस्सा है
इस जलसेतु के बीच में एक स्तंभ है, जिस पर तमिल लिपि में एक शिलालेख है. इसके पीछे गणेश की एक उभरी हुई मूर्ति और शीर्ष पर गजलक्ष्मी की मूर्ति स्थित है.
इस जल मंदिर का निर्माण आध्यात्मिक बुजुर्ग शंकरमुरी अरुलाकी ने किया था. श्रीविल्लिपुथुर महासभा ने श्रद्धांजलि के रूप में इस जल मंदिर को ‘अरुलाकी मताई’ के रूप में उल्लेखित किया.