दिल्ली की ये इमारत मानी जाती है मुगल काल की सबसे आखिरी, जानिए इतिहास
क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में मुगल काल की आखिरी इमारत कौन सी है? जफर महल मुगल काल का आखिरी महल माना जाता है.
इसका निर्माण मुगल शासकों की शान और शौकत को दर्शाता है और यह अंतिम मुगल संरचना है.
दिल्ली में स्थित जफर महल मुगल काल का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है. इसका निर्माण 18वीं सदी में मुगल सम्राट अकबर शाह द्वितीय द्वारा शुरू किया गया था.
इसका दोबारा निर्माण अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर ने जफर महल का निर्माण सन 1842 में कराया था.
इस महल का निर्माण मुगल साम्राज्य के आखिरी दिनों में हुआ था, जब दिल्ली की सत्ता और संस्कृति पर विदेशी आक्रमणों और आंतरिक विद्रोहों का असर पड़ने लगा था.
जफर महल का ऐतिहासिक महत्व भी है. यह महल मुगल सम्राटों के अंतिम दिनों का गवाह है.
बहादुर शाह जफर ने इस महल को अपने ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में चुना था और यहीं से उन्होंने अपनी अंतिम लड़ाई लड़ी थी.
1857 के विद्रोह के दौरान, बहादुर शाह जफर को अंग्रेजों ने इसी महल से गिरफ्तार किया था और बाद में रंगून (म्यांमार) निर्वासित कर दिया था.
अपने समय में, जफर महल मुगलों की महत्वपूर्ण गतिविधियों का केंद्र था. यहाँ शाही दरबार, काव्य गोष्ठियाँ और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते थे.
इसके अलावा, महल के बगीचों में मुगलों के शिकार के आयोजन भी होते थे. जफर महल का वातावरण शाही जीवनशैली का प्रतीक था, जहाँ संगीत, नृत्य और अन्य कलाओं का भी प्रचलन था.
जफर महल का डिज़ाइन मुगल वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है. इसमें लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया गया है, जो उस समय की प्रमुख निर्माण सामग्री थी.
महल में अनेक हॉल, बालकनी और आंगन हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशेषता है. यहां की खूबसूरत नक्काशी, जाली का काम और मीनाकारी मुगल कला की उत्कृष्टता को दर्शाती है.
महल के कई हिस्से अब जर्जर हो चुके हैं, और पर्यटकों के लिए इसकी सीमित पहुंच है. हालांकि, यह महल आज भी उन लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है, जो दिल्ली के समृद्ध इतिहास और संस्कृति में रूचि रखते हैं.