हाल ही में भारत सरकार के केन्द्रीय पशु प्रजनन फार्म में थारपारकर नस्ल की गायों की बोली लगाने का कार्यक्रम आयोजित किया गया, इसमें अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए. 

नीलामी में 85 किसानों और पशुपालकों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. नीलामी में कुल 43 पशुओं को रखा गया था, जिसमें थारपारकर गाय संख्या 8034 की सबसे बड़ी बोली लगी है. 

इस गाय के लिए 9.25 लाख रुपये की बोली लगाई गई. यह बोली महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक किसान ने लगाई है. बाद में पुष्कराज ने इसे खरीद लिया. 

इन गायों के दूध और घी की बहुत मांग होती है. आम तौर पर थारपारकर नस्ल की गाय 20,000 से लेकर 70,000 रुपये में बिकती हैं. 

थारपारकर नस्ल की गायें भीषण गर्मी और सर्दी सहन करने की क्षमता रखती हैं. इस नस्ल की गायों के दूध और घी की डिमांड हमेशा बनी रहती है. 

आमतौर पर गर्मी ज्यादा पड़ने की वजह से गायों का दुग्ध उत्पादन घट जाता है. लेकिन थारपारकर नस्ल की गायों के साथ ऐसा कुछ नहीं होता है. 

इन गायों की इम्यूनिटी बहुत ज्यादा होती है. लिहाजा यह जल्दी बीमार नहीं होती हैं. इन गायों का रंग सफेद होता है. 

थारपारकर नस्ल की गाय काफी दुधारू होती है और प्रतिदिन 15-18 लीटर तक दूध देती हैं. इस वजह से इन्हें दुधारू सोना भी कहा जाता है.