देश के ये पूर्व PM रोज नदी पार करके जाते थे स्कूल, जानें फिर क्यों छोड़ दी थी पढ़ाई
2 अक्टूबर के दिन राष्ट्रपति महात्मा गांधी जी के साथ-साथ देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती होती है.
आजादी की लड़ाई में कई बार जेल गए लाल बहादुर शास्त्री ने नए भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उनका पूरा जीवन ही देश की सेवा में बीता.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि लाल बहादुर शास्त्री रोज नदी पार करके क्यों जाते थे और 16 की उम्र में ही पढ़ाई छोड़ दी थी? अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने विषम परिस्थितियों में शिक्षा हासिल की और रोजाना नदी पार करके स्कूल जाते थे.
जब शास्त्री जी छठी क्लास में थे तब उनका नाम स्कूल में लाल बहादुर वर्मा के नाम से रजिस्टर्ड था. उस समय वे 12 साल के थे.
उन्होंने अपने परिवारों वालों से कहा कि मैं अपना जातिगत उपनाम वर्मा नहीं रखना चाहता क्योंकि मुझे जातिसूतक शब्द पसंद नहीं है.
उन्होंने वर्मा उपनाम हटाने के लिए स्कूल हेडमास्टर बसंत लाल वर्मा से आग्रह किया. हेडमास्टर ने उनके इस आग्रह को स्वीकार कर लिया.
इस तरह लाल बहादुल वर्मा केवल लाल बहादुर बन गये. जब लाल बहादुर ने 1925 में काशी विद्यापीठ से स्नातक किया और उन्हें शास्त्री की उपाधि दी गई तो उन्होंने अपने नाम के साथ शास्त्री लगा लिया.
लाल बहादुर ने महज 16 वर्ष की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी और 1921 में असहयोग आंदोलन से लेकर 1942 तक अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
16-वर्ष की उम्र में असहयोग आंदोलन से जुड़े शास्त्री जेल भी गए.