ये है भारत का वो गांव, जिसे कहां जाता है भगवान का बगीचा, जानें इसकी खासियत

मेघालय के मावल्यान्नांग गांव में आने वाले अधिकतर पर्यटक इसी उम्मीद में रहते हैं कि किसी तरह इस गांव की वासी हो जाएं. इस गांव को युनेस्को ने भी सराहा है.

मावल्यान्नांग को 2003 में एशिया का सबसे साफ गांव का खिताब मिल चुका है. वहीं साल 2005 में इसे भारत का सबसे साफ सुथरा गांव घोषित किया गया.

इस गांव के प्राकृतिक पुल को युनेस्को ने विश्व विरासत का दर्जा दिया है. यहां की साक्षरता दर 100 प्रतिशत है यानी यहां कोई भी निरक्षर (illiterate) नहीं है इसी का नतीजा है कि यहां सभी जागरूक हैं.

यहां पर प्रकृति और इंसान को एक-दूसरे के लिए दोस्त समान व्यवहार करते हुए महसूस किया जा सकता है.

यहां के लोग प्रकृति के प्रति ग्रामीण सम्मान की भाव रखते हैं. लोग यहां प्रकृति के साथ रत्तीभर भी छेड़छाड़ नहीं करते हैं. प्रकृति की गोद में बसा यह गांव सामान्य गांव से बिल्कुल अलग और अजूबा लगता है.

इस गांव में साफ सफाई का खूब ख्याल रखा जाता है. यहां प्लास्टिक का उपयोग यहां नहीं किया जाता है.

यहां के लोग महिलाओं का सम्मान करते हैं. इस गांव में खासी जनजाति रहती है.

ये लोग अपने संतान के नाम में माता का सरनेम इस्तेमाल करते हैं. कहा भी जाता है- जहां स्त्रियों का सम्मान होता है वहां भगवान वास करते हैं.

यह गांव अपराध मुक्त है. यहां आने वाले पर्यटकों के साथ कोई भी गलत व्यवहार नहीं किए जाते हैं. यानी यहां के लोग अनुशासन प्रिय हैं.