इस वजह से हुए थे कल्पना चावला के स्पेसक्राफट के हजार टुकड़े? जानें
कल्पना चावला ने 2003 में कोलंबिया शटल से अंतरिक्ष के लिए अपनी दूसरी उड़ान भरी थी
लेकिन किसको पता था कि यह उनकी आखिरी उड़ान साबित होगी.
16 जनवरी, 2003 को कल्पना स्पेस शटल कोलंबिया एसटीएस-107 से स्पेस शटल प्रोग्राम के 113वें मिशन पर एक बार रवाना हुईं. 1 फरवरी, 2003 को वापसी थी.
शटल को कैनेडी स्पेस सेंटर में उतरना था पर सुबह 9 बजे से ठीक पहले मिशन कंट्रोल के दौरान असामान्य रीडिंग नोट की गईं.
शटल के बाएं विंग के सेंसर से तापमान की रीडिंग नहीं मिल रही थी और अचानक बाईं ओर के टायर की प्रेशर रीडिंग भी गायब हो गई.
तब कोलंबिया शटल अमेरिका के टेक्सास प्रांत में डलास शहर के पास था और आवाज की गति से भी 18 गुना तेजी से जमीन की ओर 61,170 मीटर की ऊंचाई से नीचे आ रहा था.
स्पेस जर्नलिस्ट माइकल कैबेज और विलियम हारवुड ने 2008 में अपनी एक किताब प्रकाशित की, जिसमें बताया गया है कि
नासा में कई ऐसे वैज्ञानिक थे जो कोलंबिया के टूटे हुए विंग की तस्वीरें लेना चाहते थे.
यह भी कहा जाता है कि नासा का डिफेंस विभाग इसमें अपने ऑर्बिटल स्पाई कैमरा का इस्तेमाल करना चाहता था
पर नासा के बड़े अधिकारियों ने मना कर दिया था और बिना किसी जांच के ही लैंडिंग बढ़ गई थी.
कुछ इंजीनियर का यह भी मानना है कि स्पेस शटल में फोम के कारण जो डैमेज हुआ था वह काफी बड़ा था.