UP की इस लाइब्रेरी में है हज़रत अली द्वारा हिरन की खाल पर लिखी गई कुरान, जानें नाम
दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकों के लिए दुनिया भर में मशहूर रामपुर की रजा लाइब्रेरी काफी चर्चा में है.
एयर कनाडा की इ फ्लाट पत्रिका एनरूट ने दुनिया की 10 लाइब्रेरियों में रजा लाइब्रेरी को 8वें स्थान पर रखा है.
रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी में हज़रत अली द्वारा हिरण की खाल पर लिखी गई कुरान और सुमेर चंद द्वारा फारसी भाषा में लिखी गई रामायण रखी हुई है.
सुमेर चंद द्वारा लिखी गई रामायण के शुरुआती पेज सोने के पानी से लिखे हैं. वहीं, इस लाइब्रेरी में करीब 17,000 पांडुलिपियां और 60,000 किताबें भी हैं.
इन दुर्लभ पांडुलिपियों को देखने और शोध कार्य के लिए दुनियाभर से लोग यहां आते हैं. इसे ऐशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी का दर्जा हासिल है.
रामपुर रजा लाइब्रेरी का इतिहास दो शताब्दी से ज्यादा पुराना है. इसने निजी संग्रहालय से बनने तक सफर तय किया है.
लाइब्रेरी में इस्लामी सुलेख के नमूने और खगोलीय उपकरणों का एक विविध और मूल्यवान संग्रह, जैसे- ऐतिहासिक स्मारकों, पांडुलिपियों, मुगल लघु चित्रों, फारसी और अरबी भाषाओं के दुर्लभ संग्रह शामिल हैं.
इसके साथ ही हिंदी, संस्कृत, उर्दू, तमिल, तुर्की और पश्तो साहित्य जैसी दुर्लभ पुस्तकों का खजाना रजा लाइब्रेरी में है. पवित्र कुरान का पहला अनुवाद हस्तलिपि में यहां हुआ था.
यहां विभिन्न भारतीय भाषाओं में ताड़पत्रों और चित्रों का उत्तम संग्रह मौजूद है. विभिन्न भारतीय और विदेशी भाषाओं में लगभग 60,000 मुद्रित पुस्तकों का संग्रह भी उपलब्ध है.