365 रानियां रखने वाला ये महाराजा खाता था गौरेया का भेजा, जानें इसके पीछे की वजह
पटियाला के सातवें महाराज सर भूपेंद्रसिंह अपने समय के बलशाही शासकों में से एक थे. वह लंबी चौड़ी काया के मालिक थे.
उनकी लंबाई 6 फीट 4 इंच और वजन करीब 300 पाउंड था. उनकी लंबी मूछों की नोकें आसमान की तरफ उठी रहती थीं. काली घनी दाढ़ी थी जिसे वह बांधकर रखते थे.
उनकी खुराक और ठाट-बाट का जिक्र डोमीनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब फ्रीडम एट मिडनाइट में मिलता है.
वह दिन भर में करीब 10 किलो खाना खा जाया करते थे. चाय पीते हुए दो मुर्गे खा जाना उनके लिए आम बात थी.
महाराज सर भूपेंद्रसिंह के पास अपना निजी हरम था. उनके हरम में एक वक्त पर करीब 350 महिलाएं थीं.
वह खुद अलग-अलग कलाओं में माहिर और सुंदर महिलाओं को चुन-चुनकर अपने हरम में लाते थे. भूपेंद्रसिंह को पोलो खेलना बहुत पसंद था.
उन्होंने पोलो में इतने चांदी के कप जीते थे कि उनका एक पूरा कमरा भर गया था. लेकिन जवानी के दिनों में उन्हें हरम का ऐसा चस्का लगा कि वह पोलो व अन्य खेल से दूर होते चले गए.
हरम की महिलाओं के ड्रेस, मेकअप, आभूषण, आदि के लिए भूपेंद्रसिंह ने स्पेशलिस्ट लोगों को काम पर रखा था.
वह हरम की महिलाओं को लगातार आकर्षक बनाए रखने के लिए उनके ड्रेस और आभूषण डिजाइन करते थे. महाराजा को पसंद आए ऐसा मेकअप तैयार करते थे.
इतना ही नहीं महिलाओं के शरीर में मन मुताबिक बदलाव करवाने के लिए उन्होंने फ्रांसीसी, अंग्रेज और हिंदुस्तानी पालास्टिक सर्जनों को भी काम पर रखा था. कुल मिलाकर पूरी की पूरी प्रयोगशाला बना रखी थी.
शारीरिक रूप से हष्ट पुष्ट होने के बावजूद महाराज सर भूपेंद्रसिंह तरह-तरह की कामोत्तेजक औषधियां लिया करते थे. उनके भारतीय डॉक्टर मोतियों, सोने, चांदी लोहे, तरह-तरह की दवाइयां तैयार करते थे.
एक ज़माने में उनका सबसे कारगर नुस्खा महीन कटी हुई गाजर और गौरेया के भेजे (मस्तिष्क) को मिलाकर तैयार किया जाता था.