खूबसूरती के लिए गधी के दूध से नहाती थी ये रानी, जानें क्या है इसकी खासियत?

क्लियोपैट्रा को रोम की सबसे खूबसूरत रानी माना जाता है. कहा जाता है कि अपनी खूबसूरती और दिलकश अदाओं से वो किसी को भी अपना दीवाना बना सकती थी. 

लेकिन मान्यताएं यह भी हैं कि क्लियोपैट्रा असल में इतनी दिलकश नहीं थी. 

जूलियस सीजर और मार्क एंथोनी को भी अपना दीवाना बनाने वाली यह रानी कुछ ऐसे सौन्दर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल करती थी जिसकी आप और हम कल्पना भी नहीं कर सकते. 

एलोवेरा, नीम और हल्दी जैसे प्राकृतिक तत्व हम भले ही अपनी त्वचा पर इस्तेमाल कर लें, लेकिन क्या आप यह बात मानेंगे कि क्लियोपैट्रा गधी के दूध और मगरमच्छ के मल को सुखाकर अपनी त्वचा पर लगाती थी!

कहा जाता है कि 30 ई.पू. में अलेक्सेंड्रीया और मिस्र में क्लियोपैट्रा से खूबसूरत त्वचा किसी भी महिला की नहीं थी. 

अपनी त्वचा की खूबसूरती के लिए क्लियोपैट्रा हर रोज पानी की जगह गधे के दूध से नहाती थी. एक स्नान के लिए भरपूर दूध जुटाने के लिए 700 गधों की जरूरत पड़ती थी.

क्लियोपैट्रा की सेवा में कई हजार सेवक-सेविकाएं थे जो उनकी जरूरत का हर सामान उनके एक आदेश पर जुटा देते थे. कहा जाता है कि इसका उसे भरपूर फायदा हुआ.

त्वचा के लाल चकत्तों के साथ ही गधे के दूध से उसकी झुर्रियां और झाइयां भी गायब हो गईं थीं. इसी से क्लियोपैट्रा में इतना आत्मविश्वास आया कि वो मार्क एंथोनी को अपनी तरफ मोहित कर पाई.

वैज्ञानिक मानते हैं कि गाय या भैंस के दूध से कई गुना बेहतर होता है गधी का दूध. दरअसल अन्य दूध की तुलना में गधी का दूध खट्टा माना जाता है. 

जब दूध खट्टा होता है, उसमें मौजूद लाक्टोज शुगर लैक्टिक एसिड में बदल दी जाती है. यह काम दूध में मौजूद बैक्टीरिया 'लेक्टोबैसिलस' करते हैं. 

लैक्टिक एसिड एक किस्म का अल्फा हाइड्रोक्सी एसिड होता है. इस तरह के एसिड जैसे ही त्वचा पर लगाए जाते हैं, वो हमारी 'डेड स्किन' को हटा देते हैं, जिससे नई और चमकदार त्वचा सतह पर आ जाती है.