भारत सरकार ने शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकारों में शामिल किया है और वो देश को डिजिटल इंडिया बनाने पर जोर दे रही है.

इसके उलट हम आज भारत के एक ऐसे गांवों के बारे में बता रहे हैं जहां मात्र एक युवक ने मैट्रिक की परीक्षा पास की है. बाकियों ने तो स्कूल की शक्ल तक नहीं देखी है.

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में आजादी के 76 वर्ष बाद भी ना सड़क है, ना ही बिजली न ही शिक्षा का दीप नहीं जल पाया है.

हम बात कर रहे हैं झारखंड के सिमडेगा जिले के चेरंगा गांव है. यहां आजतक बिजली नहीं पहुंची है. जी हां... आजादी के 76 वर्ष बाद भी न सड़क, न बिजली न ही शिक्षा नहीं पिल पाई.

वहां के स्थानीय लोगों ने बताया, इस गांव के बच्चों अथवा युवाओं में शिक्षा के स्तर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गांव से आज तक केवल एक युवा ने ही 10वीं पास किया है.

बाकी कोई भी छात्र मैट्रिक की परीक्षा में शामिल तक नहीं हो पाया है. सूरज ढ़लने के बाद बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं. कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

यह इलाका कुरडेग प्रखंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर जंगल-पहाड़ के बीच में बसा चेरंगा गांव है. यहां अशिक्षा के कई कारण हैं. यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.

उन्होंने बताया, चेरंगा गांव में 27 परिवार निवास करते हैं. यहां की आबादी 127 के लगभग है. यहां अधिकतर आदिम जनजाति कोरवा के लोग निवास करते हैं, जबकि कुछ परिवार उरांव जनजाति समुदाय के भी हैं.

मुखिया ने बताया, यहां पर तो आने के लिए सड़क भी नहीं है. अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे लादकर दूसरे गांव के अस्पताल में ले जाना पड़ता है.

वहीं इन समस्याओं को लेकर बीडीओ और सरकार से बात होती है. सड़क निर्माण पर किसी-न-किसी कारण से बात नहीं बन पाती है.

यहां पर एक अच्छा सरकारी स्कूल है, पर वह 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर है. ऐसे में सोचिए बिना सड़क का और बुनियादी सुविधा का उतना दूर कोई कैसे जाए.