दुनिया के पुराने शहरों की बात आती है तो इसमें एथेंस, यरुशलम और फलीस्तीन के जेरिको की गिनती होती है. 

लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में एक शहर है, जिसे भारत ही नहीं एशिया का सबसे पुराना शहर माना जाता है. 

भारत के सबसे पुराने शहर में यूपी के बनारस की गिनती होती है. हिंदू धर्म में इस शहर का खास महत्व है. 

इस शहर का इतिहास करीब हजारों वर्ष से भी ज्यादा पुराना है. इसका उल्लेख रामायण व महाभारत काल में भी मिलता है. 

कहा जाता है वाराणसी के लोगों के निवास के प्रमाण हजारों वर्ष अधिक पुराने हैं. हालांकि हमारे कुछ भारतीय विद्वान इसे लाखों वर्ष पुराना मानते हैं. 

वाराणसी को 'बनारस' और 'काशी' के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र शहर माने जाने वाले बनारस को अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है.

कहा जाता है कि वाराणसी का नाम यहां की दो नदी वरुणा और असि नदी को मिलाकर हुआ. ये नदियां गंगा नदी में उत्तर और दक्षिण दिशा से आकर मिलती हैं. 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना हिन्दू भगवान शिव ने की थी, जिस कारण ये आज एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. कई ग्रंथों में इसका उल्लेख किया गया है. 

बनारस में छोटे-बड़े 100 से ज्यादा घाट हैं, जिसके चलते इसे घाटों का शहर भी कहा जाता है. इसे धर्म और मोक्ष की नगरी कहा जाता है.

बता दें कि वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है. ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है.