पासे की जगह इंसानों का इस्तेमाल, क्या है लूडो का इतिहास?

लूडो आज के जमाने में खेले जाने वाले सबसे दिलचस्प खेलों में से एक है

लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी शुरुआत कैसे हुई?

लूडो की प्राचीनता को लेकर तरह-तरह के दावे किए जाते रहे हैं

भारत में इससे मिलते जुलते खेल का उल्लेख पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है

वहीं पश्चिमी देश इसे लेकर अपने दावे करते रहे हैं

अलग-अलग नामों से लूडो भारत में खेला जाता रहा है

महाभारत काल में लूडो की तरह ही चौपड़ या पच्चीसी का खेल पासों की मदद से खेला जाता था 

वहीं लूडो को पगड़े, चौसर, दायकटम, सोकटम और वर्जेस जैसे नामों से जाना जाता रहा है

4 खिलाड़ी वाले इस खेल में मैसूर के राजा कृष्णराज वोडियार के समय 6 खिलाड़ी वाला बना दिया गया था

वहीं कहा जाता है कि अकबर के दरबार में पच्चीसी में पासे की जगह इंसानों का इस्तेमाल किया जाता था

वर्तमान में लूडो की संरचना का पेटेंट साल 1896 में अल्फ्रेड कोलियार नाम के ब्रिटिश व्यक्ति ने कराया था