कांग्रेस पार्टी का उत्तर प्रदेश में पुनर्जन्म हुआ है, इसके लिए कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में राहुल गांधी की जमकर सराहना हुई.

राहुल ने यूपी में जीत का सबसे ज्यादा श्रेय अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को दिया, लेकिन इसके पीछे दो सबसे ऐसे नेताओं का अहम रोल रहा है, जिन्होंने जीत का क्रेडिट खुद को नहीं दिया.

यूपी में कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत हासिल हुई, उसमें जितनी अजय राय की भूमिका है, उतना ही अहम रोल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की भी है.

5 बार के विधायक, वो नेता जिसका कभी भारतीय जनता पार्टी से गहरा नाता था. भाजपा छोड़ उसने सपा की साइकिल पर भी सवारी की. इसके बाद वो निर्दलीय विधायक चुना गया.

अखिलेश ने गठबंधन में रहते हुए कांग्रेस के साथ कोई छल नहीं किया. उन्होंने कांग्रेस को उन सीटों पर लड़ने का मौका दिया, जहां उसने मजबूत लड़ाई लड़ी.

अजय राय ने वाराणसी सीट से नरेंद्र मोदी को कड़ी टक्कर दी. 4 लाख 79 हजार से अधिक वोटों से पिछली बार जीत हासिल करने वाले नरेंद्र मोदी को इस बार महज डेढ़ लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत मिली.

विपक्षी दलों का गठबंधन INDIA का गठन हो चुका था, इसी बीच कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच यूपी में बात नहीं बनी तो अजय राय ने सपा और अखिलेश की खुली आलोचना करनी शुरू कर दी.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार में कोई भी मतभेद नहीं किया. वो अजय राय के साथ रोड शो करते नजर आए.

यूपी की उन सभी सीटों के लिए चुनावी रैलियां की, मंच पर राहुल गांधी, अजय राय, प्रियंका गांधी के साथ नजर आए. खुद अखिलेश और उनकी पत्नी डिंपल यादव भी-रोड शो करती नजर आई.

हाल में ही राहुल ने कहा— यदि मेरी बहन प्रियंका बनारस से चुनाव लड़ी होतीं तो मोदी को दो-तीन लाख वोटों से हरातीं

कांग्रेस में जीत का क्रेडिट लेने की कलह के बीच अब ये भी सवाल उठ रहा है कि क्या सपा और कांग्रेस का जलवा यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव 2027 तक बरकरार रहेगा