भारत में कई जगहों पर बाढ़ के चलते कई लोगों की जानें गईं, इसका एक बड़ा कारण फ्लाइंग रिवर्स यानी उड़ती हुई नदियों को माना जा रहा है.

इसी को लेकर अधिकतर लोगों के मन में सवाल उठ रहा है आखिर ये होती क्या हैं और कैसे ला रही हैं बाढ़?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, ग्लोबल वार्मिंग के कारण नमी में बहुत अधिक वृद्धि के साथ एक तरह का तूफ़ान हालात को और बिगाड़ रहा है. 

इस तूफ़ान को 'एटमॉस्फ़ेरिक रिवर' या 'वायुमंडलीय नदी' के नाम से जाना जाता है. साफ शब्दों में कहें तो आसमान में बनने वाले इन तूफ़ानों को "फ्लाइंग रिवर्स" या "वायुमंडलीय नदियां" भी कहते हैं.

ये एक तरह से पानी के भाप वाले रिबन बैंड जैसे होते हैं जो गर्म समुद्र से होने वाले भाप बनकर उड़ना से बनते हैं और दिखते नहीं हैं.

यही भाप वायुमंडल के निचले हिस्से में एक तरह की पट्टी बनाते हैं जो उष्णकटिबंधीय इलाक़ों से ठंडे प्रदेशों की ओर बढ़ते हुए बारिश या बर्फ़ के रूप में गिरता है.

आपको जानकर हैरानी होगी कि ये किसी इलाक़े में बाढ़ या भयावह बर्फ़ीला तूफ़ान लाने के लिए पर्याप्त विनाशकारी होता है.

ये "फ्लाइंग रिवर्स" कुल जल भाप का 90 फ़ीसदी हिस्सा लेकर चलती हैं और पृथ्वी के मध्य-अक्षांश के ऊपर से होकर गुजरती हैं. 

औसतन इनमें अमेज़न नदी में आम तौर पर बहने वाले पानी का दोगुना पानी होता है.पानी की मात्रा के लिहाज़ से अमेज़न नदी दुनिया की सबसे बड़ी नदी है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि ये 'एटमास्फ़ेरिक रीवर्स' और बड़ी, चौड़ी और अधिक तीव्र होती जा रही हैं. इसकी वजह से पूरी दुनिया में करोड़ों लोगों पर बाढ़ का जोख़िम बढ़ गया है.