सेना से रिटायर होने के बाद कुत्तों के साथ क्या होता है?

सेना की डॉग यूनिट्स में शामिल होने वाले कुत्ते ज्‍वाइनिंग के 10-12 साल बाद सेवानिवृत्‍त हो जाते हैं.

वहीं, कुछ कुत्‍ते शारीरिक चोट या हैंडलर की मृत्यु होने या शोर से नफरत बढ़ने से हुई मानसिक परेशानी

जैसे कारणों से भी सम्मानजनक तरीके से सेवानिवृत्‍त कर दिए जाते हैं. सेना अपने कुत्‍तों को अलग-अलग क्षेत्र में सम्मानित भी करती है.

आप सब के मन में यह सवाल अब उठेगा कि ‌रिटायर होने के बाद क्या तो आपको बता दें कि सेवा समाप्त होने के बाद कुत्तों को गोली अब नहीं मारी जाती है.

यह पहले होता था जब कुत्तों को सेना से सेवानिवृत होने के बाद गोली मार दी जाती थी.

सेना के कुत्तों को गोली मारने को लेकर बताया जाता है कि ऐसा देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया जाता था.

सेना के लोगों को डर रहता था कि कहीं रिटायरमेंट के बाद कुता गलत हाथों में पड़ गया तो कोई उनका गलत इस्तेमाल कर सकता है.

इसलिए इन एक्सपर्ट कुत्तों को गोली मार दी जाती थी. साथ ही इन कुत्तों के पास आर्मी के सेफ और खूफिया

ठिकानों के बारे में भी पूरी जानकारी होती थी. जिसका कोई गलत इस्तेमाल कर सकता था.

एक और  वजह बताई गई कि उस समय उनके देखभाल करने के लिए उचित लोग नहीं मिलते थे या फिर

डॉग्स वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन भी उन्हें भारतीय सेना जैसा विभिन्न सुविधा देने में समर्थ या काबिल नहीं थे.

द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार यह तथ्य गलत है. रिपोर्ट के अनसुार साल 2015 में सरकार की मंजूरी के बाद से सेना ने जानवरों की इच्छामृत्यु बंद कर दी गई है.

यानी रिटायरमेंट के बाद सेना से रिटायर कुत्तों को गोली नहीं मारी जाती है, लेकिन सिर्फ उन्ही कुत्तों को इच्छामृत्यु दी जाती है, जो किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं.

अब कुत्तों को रिटायरमेंट के बाद ऐसे लोगों को दे दिया जाता है जो उसका देखभाल अच्छे से कर सके.  उनकी सारी सुविधाओं का पूर्ति कर सके.

इसके लिए उन सभी लोगों को भारतीय सेना के बॉन्ड पेपर पर हस्ताक्षर करना होता है कि इन कुत्ते देखभाल करेंगे और उसे किसी सुविधा का कमी नहीं होने देंगे.