भारतीय सेना का पहला स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन नागास्त्र-1 क्या है? जानें खासियतें
भारतीय सेना को स्वदेशी 'साइलेंट किलर' मिल गए हैं, जिनका नाम 'नागास्त्र-1' है.
इस आत्मघाती ड्रोन को दुश्मन के घर में घुसकर मारने के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया है.
स्वदेशी सैन्य क्षमता बढ़ाने की दिशा में भारत सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदम के तौर पर इन ड्रोन्स को सेना को सौंप दिया गया है.
इन ड्रोन्स को नागपुर की कंपनी सोलर इंडस्ट्रीज की इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव लिमिटेड यूनिट ने डेवलप किया है.
नागास्त्र-1 यूएवी आधारित ड्रोन है, जो टारगेट के पास जाकर क्रैश होकर उसे पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर देता है.
इसका मुख्य काम GPS के जरिये सटीकता के साथ टारगेट के ऊपर मंडराना और फिर उससे क्रैश होकर खत्म कर देना है.
नागस्त्र-1 नामक इन ड्रोन्स की रेंज 30 किलोमीटर तक है. इसका एडवांस वर्जन दो किलो से ज्यादा गोला-बारूद ले जाने में सक्षम है.
सूत्रों ने बताया कि इन ड्रोन्स का इस्तेमाल मुख्य रूप से आंतक के ट्रेनिंग कैंप, ठिकानों और लॉन्च पैड पर हमला करने के लिए किया जाएगा, ताकि हमारे सैनिकों के लिए खतरा कम से कम हो.
सेना को मिला नागास्त्र-1 ड्रोन 4500 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. इतनी ऊंचाई पर उड़ान भरने से रडार के जरिये इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है.
ये ड्रोन्स एक बार उड़ान भरते हुए 60 मिनट तक हवा में रह सकते हैं. अगर टारगेट न मिले तो इन्हें वापस भी बुलाया जा सकता है और पैराशूट के जरिये इसकी सॉफ्ट लैंडिंग कराई जा सकती है.
नागास्त्र-1 में लॉइटरिंग म्यूनिशन (जिसे आत्मघाती ड्रोन या कामिकेज ड्रोन भी कहा जाता है) एक एरियल वैपन सिस्टम लगा हुआ है. ये ड्रोन हवा में टारगेट के आसपास घूमने में सक्षम हैं और बिना भनक लगे उन पर आत्मघाती हमला कर सकते हैं.