क्या है जासूसी क्लब, क्यों चर्चा में हैं इन 5 देशों की खुफिया एजेंसी?
दुनिया के हर देश के पास आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से निपटने के लिए एक खुफिया तंत्र होता है.
ये खुफिया एजेंसी दुश्मनों से जुड़ी जानकारी हासिल कर उनके किसी भी हमले को नाकाम करती हैं.
इस फेहरिस्त में अमेरिका की CIA, इजरायल की Mossad, भारत की RAW का लोहा पूरी दुनिया मानती है.
इसी तरह से दुनिया के पांच देशों ने मिलकर Five Eyes Alliance बनाया है. जिसे जासूसी क्लब कहा जाता है.
इस पांच देशों में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड हैं. देशों ने मिलकर एक जासूसी क्लब बनाया है.
इन सबके बीच करार है कि अगर उनके क्षेत्र में कोई भी संदिग्ध गतिविधि हो, जिससे इन सबमें से किसी भी देश को खतरा हो, तो वे जानकारी शेयर करेंगे.
इसमें पांच देशों की 20 खुफिया एजेंसियां काम कर रही हैं. इनके बीच जो जानकारियां शेयर होती हैं, वो क्लासिफाइड सीक्रेट AUS/CAN/NZ/UK/US आईज ऑनली कहलाती हैं. .
दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद रूस की खुफिया जानकारियों का भेद लेने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर एक क्लब बनाया.
बाद में कनाडा और फिर न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया भी इसका हिस्सा बन गए. ये सब इकनॉमी और सैन्य ताकत में भी बाकी देशों से बढ़-चढ़कर थे.
पांच देशों के नेटवर्क के बाद इसमें कई और देश भी जुड़ते चले गए. इसमें नाइन-आईज भी है, इसके बाद 14-आईज भी है, यानी वे 14 देश जो जासूसी में आपसी मदद करते हैं.
इसमें 9 देशों के साथ जर्मनी, बेल्जियम, इटली, स्पेन और स्वीडन आ जाते हैं. हालांकि फाइव-आईज-अलायंस सबसे क्लोजली काम करता है.