बलात्कार के आरोप में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आ गए हैं. उनको 21 दिनों की फरलो मिली है.
बताया जा रहा है कि फरलो अवधि के दौरान राम रहीम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बरनावा आश्रम में रहेंगे. पहले पैरोल पर भी वह बाहर आ चुका है.
लेकिन क्या आप जानते हैं फरलो और पैरोल क्या हैं? इसमें क्या अंतर होता है. आइए जानते हैं इसके बारे में-
फरलो और पैरोल दोनों में सजा काट रहे कैदियों को जेल से बाहर जाने की अनुमति मिलती है. लेकिन इन दोनों के बीच अंतर होता है.
पैरोल में कैदी को थोड़े दिनों के लिए अस्थाई रूप से छोड़ा जाता है. इसका मकसद यह होता है कि कैदी अपने परिवार और समुदाय के साथ सामाजिक रूप से जुड़ा/जुड़ी रह सके.
फरलो पाने के लिए कैदी को जेल में कुछ साल बिताने पड़ते है. अगर उसका व्यवहार अच्छा रहता है और वो जेल में अनुशासन बनाए रखता है, तो उसे कम समय के लिए छोड़ा जाता है.
फरलो उस कैदी को दी जा सकती है जिसे 5 साल से ज्यादा सालों के लिए सख्त सजा दी गई हो और वह दोषसिद्धि के बाद तीन साल की सजा काट चुका हो.
पैरोल का मतलब है जेल से मिलने वाली एक छूट. यह छूट वह कैदी पा सकता है, जो जेल में बंद होकर सजा काट चुका हो.
पैरोल की अवधि के दौरान जेल से बाहर बिताए गए दिनों को सजा के रूप में नहीं गिना जाता. वहीं फरलो के दौरान जेल से बाहर बिताए गए दिनों को सजा की अवधि में गिना जाता है.