उत्तर प्रदेश विधानसभा में नजूल संपत्ति (सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए प्रबंधन व उपयोग) विधेयक-2024 पारित कर दिया गया है.

जिसके बाद विधानपरिषद के सभी सदस्यों ने इसे प्रवर समिति के पास भेजने का फैसला लिया. अब 2 महीने बाद समिति नजूल विधेयक पर अपनी रिपोर्ट सौपेंगी. 

इस कानून के पेश होने पर समाजवादी, कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ भाजपा के विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी और सिद्धार्थ नाथ सिंह ने इसमें संशोधन की मांग रखी हैं.

प्रयागराज से भाजपा विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि नजूल की जो जमीन है यह आजादी के पहले से लोगों के पास है. आज आजादी मिले 75 साल हुए पर लोग 100-100 सालों से इन जमीनों पर रह रहे हैं. 

वहीं निषाद पार्टी के अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा कि अगर आप इन्हें उजाड़ देंगे तो 2027 (विधानसभा चुनाव) में ये लोग उजाड़ देंगे। इसे लागू नहीं करने दिया जाएगा.

यूपी में नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर सियासी घमासान मच गया है. ऐसे में जानिए आखिर नजूल संपत्ति बिल क्या है? 

क्या है नजूल जमीन नजूल संपत्ति विधेयक प्रभावी होने के बाद यूपी में किसी भी नजूल भूमि को किसी प्राइवेट व्यक्ति या प्राइवेट एंटिटी के पक्ष में फ्री होल्ड नहीं किया जाएगा. 

इन भूमि का अनुदान केवल सार्वजनिक जैसे केंद्रीय या राज्य सरकार के विभाग, शिक्षा, स्वास्थ्य या सामाजिक सहायता देने वाले संस्थाओं को ही दिया जाएगा.

इसके अलावा खाली पड़ी नजूल भूमि जिसकी लीज अवधि खत्म हो रही है उसे फ्री होल्ड न कर सार्वजनिक हित में उपयोग किया जाएगा.

क्या होती है नजूल भूमि नजूल जमीन ऐसी भूमि होती है, जिनका स्वामित्व सरकार के पास होता है. 

दरअसल भारत में आजादी के बाद अंग्रेजों ने इन जमीनों को खाली कर दिया लेकिन राजाओं और राजघरानों के पास अक्सर पूर्व स्वामित्व साबित करने के लिए उचित दस्तावेजों की कमी होती थी.

विधेयक में यह भी कहा गया है कि सरकार नजूल भूमि को फ्री होल्ड नहीं करेगी और जिनका फ्री होल्ड का पैसा जमा है, उन्हें रकम बैंक की दर पर ब्याज के साथ वापस की जाएगी. 

ऐसे में आम लोगों का जमीन को नियमों के तहत फ्री होल्ड कराके उस पर कानूनन काबिज होने का सपना धरा का धरा रह जाएगा.