बांग्लादेश में हिंदुओं की कितनी आबादी और क्या है आंकड़े घटने की वजह? जानें
पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में इस समय अराजकता का माहौल है. वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हिंसक प्रदर्शनों के बीच सोमवार को इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ दिया.
शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं और उनकी यूरोप के किसी देश में शरण लेने की बात चल रही है.
बांग्लादेशी सेना ने कहा है कि जल्द ही अंतरिम सरकार गठित कर दी जाएगी जो देश को चलाएगी. इन सबके बीच अल्पसंख्यक समुदाय अपने को मुश्किल महसूस कर रहा है.
प्रदर्शनकारी अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं को अपना निशाना बना रहे हैं. उन्हें डर है कि जब सत्ता पर कट्टर इस्लामिक समूह काबिज हो जाएंगे तो हालात और खराब हो सकते हैं.
पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति काफी खराब हुई है. ऐतिहासिक रूप से 1951 में हिंदुओं की आबादी लगभग 22 फीसदी थी.
लेकिन 2011 तक यह घटकर लगभग 8.54 फीसदी रह गई. जिसका मुख्य कारण धार्मिक उत्पीड़न और आर्थिक रूप से हाशिए पर होना है. उसके बाद भी हिंदुओं की आबादी में लगातार गिरावट आती गई.
बांग्लादेश की न्यूज वेबसाइट डेली स्टार के अनुसार 2022 में भारत के इस पड़ोसी देश की आबादी साढ़े सोलह करोड़ से कुछ ज्यादा थी.
बांग्लादेश की आबादी में 7.95 फीसदी लोग हिंदू समुदाय के हैं. संख्या के हिसाब से देखें तो हिंदुओं की संख्या एक करोड़, 31 लाख (13.1 मिलियन) है. लगातार गिरावट के बाद भी हिंदू समुदाय आबादी में दूसरे नंबर पर है.
बांग्लादेशी हिंदुओं को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. भेदभाव और सांप्रदायिक हिंसा के कारण वे दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में रहते हैं.
हिंदू समुदाय के काफी लोगों ने संपत्ति अधिनियम जैसे कानूनों की वजह से भूमि और संपत्ति खो दी है.
अनुमान है कि 1964 के बाद से लगभग 11.3 हिंदुओं ने बांग्लादेश छोड़ दिया है. कुछ रिपोर्ट में तो यह भी दावा किया गया है कि अगले तीन दशकों में बांग्लादेश में हिंदुओं का नामोनिशान मिट जाएगा.
बांग्लादेश की कुल आबादी में करीब 8% हिंदू है. बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के बाद 1974 में देश की कुल आबादी में 13.5% हिंदू थे और तबसे उनकी तादाद में लगातार गिरावट दर्ज की गई है.
गौरतलब है कि बांग्लादेश में सैन्य तख्तापलट होने के बीच हिंसा के दौरान हिंदुओं के इस्कॉम मंदिर में भगवान की मूर्तियां जलाई गई है.