हज यात्रा इन दिनों काफी चर्चाओं में है. इस धार्मिक यात्रा के लिए पूरी दुनिया से लाखों मुसलमान सऊदी अरब के मक्का शहर पहुंचते हैं.
मुस्लिम समुदाय की इस हज यात्रा में सऊदी अरब के मक्का में शैतान को पत्थर मारने के बाद ही इसे पूरा माना जाता है.
हज यात्री इसका पालन भी करते हैं, लेकिन कई लोगों को इसके पीछे की वजह नहीं पता होती.
तो चलिए आज हम जानते हैं कि आखिर इस यात्रा के दौरान हज यात्री पत्थर किसे और क्यों मारते हैं.
हज यात्रा के तीसरे दिन शैतान को पत्थर मारने की प्रक्रिया की जाती है. पांच दिनों की हज यात्रा में तीसरे दिन बकरीद भी होती है.
बकरीद के दिन हज पर गए यात्री कुर्बानी से पहले मीना शहर जाते हैं और वहीं शैतान को तीन बार पत्थर मारते हैं.
हज यात्री शैतान को जो पत्थर मारते हैं वो मीना शहर के तीन अलग-अलग जगहों पर बने तीन अलग अलग स्तंभों पर मारते हैं.
इनमें पहला स्तंभ है जमराहे उकवा, दूसरा जमराहे वुस्ता और तीसरा स्तंभ जमराहे उला कहलाता है.
इस्लाम में मान्यता है कि जिन तीन जगहों पर हज यात्री पत्थर मारते हैं, वहां पर उस समय हजरत इब्राहीम ने शैतान को पत्थर मारे थे
कहा जाता है कि, जब शैतान उन्हें उस वक्त रोकने की कोशिश कह रहा था जब वो अपने बेटे की कुर्बानी देने जा रहे होते हैं.