जब एक कारपेंटर ने वर्ष 1980 में जीता था Chess Olympiad में सिल्वर मेडल
अगर आप भारतीय शतरंज के इतिहास में सबसे महानतम खिलाड़ी की बात करें, तो ज्यादातर लोग विश्वनाथन आनंद की ओर ही इशारा करेंगे.
आखिरकार, वो ही पहले भारतीय ग्रैंडमास्टर बने, पहले भारतीय जिन्होंने विश्व जूनियर शतरंज चैम्पियनशिप जीती, पहले सीनियर विश्व चैम्पियन बने और पहले भारतीय जिन्होंने वर्ल्ड नंबर 1 की रैंक हासिल की.
लेकिन आनंद के इस उपलब्धि को हासिल करने से पहले, एक और भारतीय शतरंज खिलाड़ी ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की थी.
1980 के ओलंपियाड में, जब आनंद सिर्फ 11 साल के रहे होंगे, मोहम्मद रफीक खान ने माल्टा में हुए शतरंज ओलंपियाड में भारत के लिए पहला पदक जीता था.
रफीक ने 1980 के माल्टा शतरंज ओलंपियाड में भारत के लिए रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया था. वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय थे.
रफीक का जन्म 12 जुलाई, 1946 को भोपाल, मध्य प्रदेश में हुआ था. वे एक साधारण परिवार में पले-बढ़े; उनके पिता एक बढ़ई थे.
उनकी शतरंज के प्रति रुचि तब शुरू हुई जब उन्होंने भोपाल के एक चाय की दुकान पर स्थानीय खिलाड़ियों को मैच खेलते हुए देखा.
उन्हें कभी औपचारिक शिक्षा नहीं मिली. इसके बजाय, वह अपने पिता की मदद करते थे. काम के बाद वह पास की चाय की दुकान पर जाते, जहां शतरंज के शौकीन लोग इकट्ठा होते थे.