जब अंतरिक्ष में मौत होती है तो कैसे होता है उसका अंतिम संस्कार? जानें
वैज्ञानिकों का कहना है, अंतरिक्ष यात्री की मौत कहां पर हुई है यह बात सबसे अहम होती है.
अगर उनकी मौत पृथ्वी की निचली कक्षा में होती है तो चालक दल कुछ ही घंटों में शव को एक कैप्सूल में रखकर पृथ्वी तक वापस ला सकता है.
अगर यह घटना चंद्रमा पर हुई होती, तो चालक दल कुछ दिनों में शव के साथ लौट सकता है.
नासा ने ऐसे हालातों को लेकर अपने कुछ प्रोटोकॉल भी तय किए हैं, जिसके आधार पर पूरी प्रक्रिया चलती है.
हालांकि, ऐसे हालातों में नासा की प्राथमिकता रहती है कि शेष चालक दल सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौट आए.
एस्ट्रोनाॅमी डाॅट कॉम की रिपोर्ट कहती है, अगर मंगल ग्रह की 300 मिलियन मील की यात्रा के दौरान किसी अंतरिक्ष यात्री की मृत्यु होती है तो स्थिति अलग होती है.
ऐसे हालात में चालक दल उसे लेकर वापस नहीं लौटते. चालक दल मिशन के अंत में उसे लेकर वापस लौट सकते हैं.
इस दौरान उसकी डेडबॉडी को एक अलग चैम्बर या खास तरह के स्पेशलाइज्ड बॉडी बैग में प्रिजर्व करके रखा जाता है. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान एक तय तापमान और नमी मेंटेन रहती है.
एक सवाल यह भी उठता है कि अगर मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्री मौत हो गई तो उसे दफनाया कहां जाएगा?
वैज्ञानिक कहते हैं, मान लीजिए मंगल की सतह पर उतरने के बाद अंतरिक्ष यात्री की मौत हो जाती है तो जरूरी नहीं है कि उसका दाह संस्कार किया जाए.
इसके लिए बहुत ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती जो पूरे मिशन के दौरान जीवित दल के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होती है.
मौत के बाद शरीर से कई तरह के बैक्टीरिया निकलते हैं जो मंगल ग्रह की सतह को दूषित कर सकते हैं. इसलिए बेहतर विकल्प यही है कि
चालक दल शव को एक विशेष बॉडी बैग में तब तक सुरक्षित रखें जब तक उसे पृथ्वी पर वापस नहीं लाया जाता. इसलिए उसके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया धरती पर ही पूरी की जाएगी.